गरियाबंद उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व के सीतानदी परिक्षेत्र के सातलोर बीट (जहा 38-40 हाथी सिकसार दल का विचरण हो रहा था) में खून बिखरा होने की सूचना परिक्षेत्र अधिकारी रिसगांव को मुखबिर द्वारा दी गयी।
परिक्षेत्र अधिकारी रिसगांव एवं स्टाफ द्वारा खोजबीन करने पर मौके से पोटाश बम का टुकड़ा मिला। अगले दिन एन्टी पोचिंग टीम द्वारा मौके का मुआयना किया गया एवं स्टाफ के साथ मिलकर 6 किलोमीटर तक खून के धब्बे एवं पगमार्क ट्रेस किये गये. सीसीएफ वाइल्डलाइफ श्रीमती सतोविषा समाजदार, जंगल सफारी के डॉक्टर राकेश वर्मा, डॉग स्क्वाड एवं शासकीय ड्रोन से घायल हाथी की तलाश शुरू की गयी ।
प्रथम द्रष्टया बम विस्फोट से हाथियों का दल छोटे छोटे चार दलों में बंट गया. पोटाश बम हाथी के लिए उपयोग किया था या जंगली सूअर मारने के लिए इसकी पतासाजी की जा रही है. चूँकि एस डी ओ सीतानदी एम आर साहू मौके से नदारद रहे इसीलिए एस डी ओ (उदंती) गोपाल कश्यप के नेतृत्व में तीन दिनों तक लगातार घायल घायल हाथी की खोज की गयी जो की 10.11.2024 को ड्रोन एवं स्टाफ की मदद से एक छोटा बच्चा (5-6 वर्ष) जिसका जबड़ा सूजा हुआ एवं पैर में चोट पता चल रहा है।
शाम को थर्मल ड्रोन की मदद से हाथी की संख्या का सटीक अवलोकन किया जा रहा है एवं कल सुबह से चोट का उपचार डॉक्टर्स की टीम द्वारा किया जायेगा ।
घायल हाथी के मामले में वन विभाग ने पोटाश बम लगाने वाले व्यक्ति की सूचना देने पर 10,000 रुपए के इनाम की घोषणा की है। इस काम में डॉग स्क्वाड का भी सहारा लिया जा रहा है, जिससे कि अपराधियों का सुराग मिल सके। इस घटना की शिकायत पुलिस थाने में भी दर्ज कराई गई है। इस कठिन बचाव कार्य में एसडीओ गोपाल कश्यप, ड्रोन ऑपरेटर मनीष राजपूत, अभिनंदन तिवारी, परिक्षेत्र अधिकारी शैलेश बघेल, प्रतिभा मेश्राम, नरेश नाग और बीट गार्ड राहुल राजपूत रूपेंद्र मरकाम विनय पटेल तथा समस्त स्टाफ ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।