अक्सर देखा गया है कि नशे की हालत में कई अपराध हो जाते हैं। लेकिन, क्या कोई व्यक्ति माफी का हकदार हो सकता है, अगर उसने जबरदस्ती नशे की हालत में अपराध किया हो? भारतीय दंड संहिता की धारा 85 इस पर रोशनी डालती है। आज हम आपको बताएंगे कि नशे में किया गया अपराध कब क्षमा योग्य हो सकता है और कब नहीं।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 85 के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध नशीला पदार्थ दिया गया है और वह यह समझने में असमर्थ हो कि वह जो कर रहा है वह सही है या गलत, तो उसे अपराध से माफी मिल सकती है।
धारा 85 के तहत माफी के लिए दो प्रमुख शर्तें:
1. नशा आरोपी की इच्छा के विरुद्ध किया गया हो।
2. आरोपी नशे की स्थिति में अपराध के सही और गलत को पहचानने में असमर्थ हो।
उदाहरण 1:
एक व्यक्ति ने शराब पीकर 13 वर्षीय लड़की का गला घोंट दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। यहां आरोपी को धारा 85 का संरक्षण नहीं मिलेगा, क्योंकि उसने अपनी मर्जी से शराब पी थी और उसे अपने अपराध की जानकारी थी।
उदाहरण 2:
एक व्यक्ति को उसके दोस्तों ने साजिश के तहत नशे का इंजेक्शन दिया, जिससे वह होश में नहीं रहा। इस स्थिति में उसने एक महिला की हत्या कर दी। यहां उसे धारा 85 का संरक्षण मिलेगा, क्योंकि नशा उसकी मर्जी के खिलाफ किया गया था और वह अपराध के सही-गलत को समझने में असमर्थ था।
धारा 85 का मकसद निर्दोष को बचाना है, लेकिन यह हर मामले में लागू नहीं होती। न्यायालय सबूतों और परिस्थितियों के आधार पर तय करता है कि आरोपी संरक्षण का हकदार है या नहीं।