Grand News: हाल के दिनों में मंदिरों में चोरी की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी जा रही है। एक तरफ जहां ये स्थान श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक माने जाते हैं, वहीं दूसरी ओर इन पवित्र स्थलों पर हो रहे अपराध समाज को झकझोर रहे हैं। आखिर बदमाशों में भगवान का डर खत्म हो गया है, या इसके पीछे कुछ और वजहें छिपी हैं?
मंदिरों में हो रही चोरियों की घटनाओं ने प्रशासन और समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है। हाल ही में [मंदिर का नाम] में चोरों ने दानपात्र तोड़कर लाखों रुपए की नकदी उड़ा ली। इसी तरह [दूसरे स्थान] में मूर्तियों और आभूषणों की चोरी का मामला सामने आया।
जानकारों का मानना है कि: आर्थिक दबाव, महंगाई और बेरोजगारी के कारण लोग आसानी से पैसे कमाने के लिए इस तरह के अपराध कर रहे हैं। और प्रशासन की लापरवाही का भी नतीजा इसे कहा जा सकता हैं, क्योंकि कई मंदिरों में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं होते। सीसीटीवी कैमरों की कमी और चौकीदारों की अनुपस्थिति चोरों को बढ़ावा दे रही है। एक और बात आध्यात्मिक भय का अभाव लोगों को चोरी करने में सहायता कर रहा हैं, क्योंकि अब बदमाशों में भगवान का डर नहीं रहा।
कैसे बचा जा सकता हैं ?
सबसे पहले मंदिरों में हो रही इन चोरियों को रोकने के लिए मंदिरों के आसपास गश्त बढ़ाई जानीं चाहिए, ताकि चोर दर के आभाव से मंदिरों में न पहुचें।
और यही नहीं बल्कि स्थानीय निवासियों को सतर्क रहने की भी ज़रूरत है। और सबसे बड़ी बात यह की अगर मंदरी परिसर में पर्याप्त मात्रा में सीसीटीवी कैमरे लगाएं जाएँ तो भी इस स्थिति से निपटा जा सकता हैं.
देखिए मंदिरों में हो रही चोरियों की घटनाएं समाज के नैतिक और आर्थिक पतन का संकेत हैं। भगवान के नाम पर हो रहे इन अपराधों को रोकने के लिए प्रशासन, मंदिर प्रबंधन और समाज को मिलकर कदम उठाने होंगे।