Ram Naam Satya Hai: सनातन धर्म में सदियों पुरानी परंपराएं और उनसे जुड़े गहरे रहस्य, हमारी संस्कृति और विश्वास को दर्शाते हैं। इन्हीं में से एक है शव यात्रा की परंपरा, जहां ‘राम नाम सत्य है’ के साथ मृतक को अंतिम विदाई दी जाती है। इस परंपरा का क्या महत्व है और इसके पीछे का वैज्ञानिक और धार्मिक पक्ष क्या है, आइए जानते हैं।
मृत्यु की वास्तविकता का बोध
राम नाम सत्य के बोलने के ऐसे तो कई कारण हो सकते हैं। लेकिन जब दाह संस्कार के लिए मृत शरीर को श्मशान लेकर जाते हैं तो इसके पीछे यह माना जाता है कि संसार नश्वर है। केवल राम नाम ही सत्य है। क्योंकि मनुष्य जब संसार से जाता है तो वह अपने साथ कुछ लेकर नहीं जाता। उसकी हर चीज यहीं रह जाती है।
इसके साथ यह हमें यह याद दिलाता है कि जीवन अस्थायी है और मृत्यु अटल है। इस वाक्य के माध्यम से व्यक्ति को सांसारिक मोह और भौतिक सुखों से ऊपर उठने की प्रेरणा मिलती है।
आत्मा की शांति के लिए
शव यात्रा में राम नाम का उच्चारण मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। मान्यता है कि भगावन राम का नाम जपने से आत्मा मोक्षधाम जाती है और साथ ही विषय विकारों से मुक्ति मिलती है। क्योंकि राम का नाम लेने से आत्मा ईश्वर के चरणों में विलीन हो जाती है।
जीवन जन्म-मरण का चक्र
हिंदू धर्म में जन्म और मृत्यु को एक सांसारिक चक्र के रूप में देखा जाता है। शव यात्रा के दौरान राम नाम सत्य है कहना हमें याद दिलाता है कि जीवन एक यात्रा है। जिसका अंत मृत्यु है, जो कि सर्वत्र सत्य है। राम नाम सत्य कहना हमें अहंकार और सांसारिक बंधनों से मुक्त होने का संदेश देता है।
राम के नाम से मिलती है सांत्वना
मान्यता है कि भगवान राम का नाम सामूहिक रूप में जपने से मृतक के परिवार को सांत्वना मिलती है। यह एक सांस्कृतिक परंपरा है जो लोगों को किसी के दुख-दर्द में एकजुट करती है और मृत्यु के समय सामाजिक सहानुभूति को दर्शाती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ‘राम नाम सत्य है’ एक ऐसा वाक्य है। जिसके जपने से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही वह मृत्यु के बाद परम पद को प्राप्त होते हैं। राम का नाम मृत्यु की वास्तविकता और जीवन की नश्वरता को दर्शाता है। शव को श्मशान ले जाते समय यह वाक्य कहने के पीछे कई आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कारण हैं।