रायपुर। सेजबहार में चल रही अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के शिव महापुराण में कथा में निरतंर भक्तों की संख्या बढ़ रही है और आकड़ा 2.50 लाख को पार कर गया है। भक्त पंडाल के अंदर और बाहर जहां कहीं जगह मिल रही है वहीं स्थान बनाकर कथा का रसपान कर रहे है।
read more : RAIPUR CRIME : व्यापारी को ऑनलाइन सीमेंट मंगाना पड़ा भारी, 9 लाख की हुई ठगी
कथा की तीसरे दिन दीप प्रज्वलित कर कथा की शुरुआत हुई दीप प्रज्वलित के दौरान प्रमुख रूप से डॉ. ओमप्रकाश देवांगन, कमल देवांगन एवं परिवार के साथ दूधाधारी मठ के महंत श्री रामसुंदर दास ग्रामीण विधायक मोतीलाल साहू और धरसिंवा के विधायक अनुज शर्मा, युवा अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण देवांगन विशेष रूप से मौजूद रहे।
आचार्य ने कथा में बताया कि जिस तरह बिना श्वास के शरीर का कोई औचित्य नहीं इस तरह बिना पूजा पाठ भजन कीर्तन के मनुष्य के तन का कोई औचित्य नहीं क्योंकि भगवान ने मनुष्य का तन इसीलिए बनाया है कि वह भगवान की भक्ति कर सके । जब भी भोलेनाथ के मंदिर जाएं तो बिना किसी डर के बिना किसी दिखावे के भोलेनाथ को जल अर्पण करना चाहिए क्योंकि भगवान भोलेनाथ जगत के पिता है और अपने पिता के घर जाकर उनका पूजन अर्चन करने से किसी को शर्माने की और डरने की कोई जरूरत नहीं होनी चाहिए।
अपना बुढ़ापा सुधारना है, तो सम्मान देना सीखो
कथा व्यास आचार्य ने कहा अतिथि आए तो उन्हें सम्मान दीजिए उन्हें जल दीजिए उन्हें भोजन दीजिए उनसे मीठी वाणी में बोलिए। जो सम्मान हम अतिथि को देंगे या हमारे घर में बड़े बुजुर्गों को देंगे वह हमारे खुद के बुढ़ापे को सुधार देंगे क्योंकि हम जैसे करेंगे हमारा बच्चा उसका अनुसरण करेगा। इसलिए अपने बुढ़ापे को सुधारना है तो अतिथि और बड़े बुजुर्गों का सम्मान जरूरी है। भोलेनाथ में हम जो जल चढ़ाते हैं इस जल का प्रताप और पुण्य हमें मिलता है।
स्वयं के अभियान में माता सती हुई भस्म
आचार्य श्रेणी आगे बताया कि दक्ष की पुत्री सती स्वयं के अभियान में भस्म हुई। दुनिया में तीन तरह के लोग अभिमानी, ज्ञानी और अज्ञानी। अभिमानी वह जो केवल अपनी बातों को सही बोलता है जैसे प्रजापति दक्ष केवल अपनी बातों को सही मानते थे ज्ञानी वह जो सबको बराबर मानते है सभी के अंदर में एक भाव देखते हैं अज्ञानी वह जो खुद भी मूर्ख और सामने वाले को भी मूर्ख ही समझता है खुद भी गलत और सामने वाले को भी गलत समझता है। सती अहंकार था कि उनके घर वाले उनको पूछेंगे उनके परिवार वाले उनको पूछेंगे लेकिन महाराज श्री ने बताया कि जब दुख की घड़ी आती है तो नगर वाली पूछते हैं ना परिवार वाले पूछते हैं केवल और केवल आपके द्वारा महादेव को दिया गया जल पुष्प अक्षत से प्रसन्न होकर महादेव ही पूछते हैं उसे समय केवल महादेव ही आपके दुख के निवारण के लिए आपके साथ खड़े रहते हैं इसलिए महादेव के मंदिर में जाकर जल जरुर चढ़ाएं।
शिव भक्ति में इतनी शक्ति की रावण भी डर कर पीछे हुआ
आचार्य श्री ने कथा के तीसरे दिवस त्रेता युग की कथा बताते हुए कहा कि राजा अज भगवान भोलेनाथ के साधक थे राजा अज भोलेनाथ की पूजन में बैठे थे और इस समय रावण जो है राजा अज के राज्य में आक्रमण करने के लिए पहुंच गया राजा अज को पूजन करते हुए देखा वह वहीं पर रुक गया जब राजा अज ने भगवान शिव पर जल समर्पित कर उस जल को अंजलि में लेकर पश्चिम दिशा की ओर फेंक दिया तब रावण पास में आया और राजा अज से पूछा कि भगवान भोलेनाथ के जल को क्यों फेंक रहे हो तब अज ने रावण से कहा की गौ माता की रक्षा के लिए मेरे द्वारा जल फेंक दिया गया यहां से चार कोस दूर पर एक शेर गौ माता को अपना शिकार बना रही थी मेरे द्वारा भोलेनाथ के फेंके गये जल से वह गौ माता बच गई जब रावण ने चार कोष दूर जाकर देखा तो वहां पर एक शेर मरा पड़ा था रावण समझ गया कि भगवान भोलेनाथ का भक्त परम प्रतापी और परम शूरवीर होता है रावण वहीं से ही युद्ध छोड़कर वापस हो गया। हमारे द्वारा भगवान भोलेनाथ पर चढ़ाए गए जल से हमारा खुद का उद्धार तो होगा ही हमारे दुश्मन भी शांत होंगे।