महाराष्ट्र सरकार में फडणवीस कैबिनेट के मंत्रियों को बंगले आवंटित किए गए हैं, लेकिन इन दिनों एक खास बंगला चर्चा में है. नाम है रामटेक बंगला, जिसे मंत्रियों के बीच “मनहूस बंगले” के रूप में कुख्यात माना जा रहा है.
रामटेक बंगले को लेकर कई अफवाहें और कहानियां प्रचलित हैं, जिनके अनुसार इसमें रहने वाले मंत्रियों के साथ बुरा होता है.बंगले में रहने वाले कई मंत्री भ्रष्टाचार के आरोपों में घिर चुके हैं.कहा जाता है कि यहां रहने वाले उपमुख्यमंत्री कभी मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। इस बंगले में रहने वाले कई मंत्रियों का राजनीतिक करियर खतरे में पड़ गया.फडणवीस सरकार में राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले को रामटेक बंगला आवंटित हुआ है, लेकिन वे अब तक इसमें शिफ्ट नहीं हुए हैं. खबर है कि वे इस बंगले को पंकजा मुंडे के साथ बदलने की कोशिश कर रहे हैं.
‘मनहूस’
केवल बंगला ही नहीं, मंत्रालय में कमरा नंबर 601 और 602 को भी अशुभ माना जाता है. कहा जाता है कि जो भी इन कमरों में बैठा, उसे नुकसान उठाना पड़ा. कई नेताओं को अपने मंत्री पद तक से हाथ धोना पड़ा.
क्या है असली वजह?
रामटेक बंगले और मंत्रालय के कमरों को लेकर विशेषज्ञ अलग-अलग राय रखते हैं. कुछ इसे वास्तु दोष मानते हैं, तो कुछ इसे मात्र संयोग. लेकिन डर इतना गहरा है कि मंत्री इसमें जाने से बच रहे हैं. अब सवाल यह है कि क्या यह महज एक संयोग है, या फिर इन जगहों पर वास्तु दोष जैसे कारणों से ये घटनाएं हो रही हैं? फिलहाल, मंत्री रामटेक बंगले से दूरी बनाए रखने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं
बंगले का इतिहास
रामटेक बंगले का इतिहास इसे और डरावना बनाता है.
छगन भुजबल: स्टांप पेपर घोटाले में नाम आने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
एकनाथ खडसे: 2014 में कृषि मंत्री रहते इस बंगले में रहे, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हें पद छोड़ना पड़ा.
दीपक केसरकर: महायुति सरकार में मंत्री रहे, लेकिन इस बार फडणवीस कैबिनेट में जगह नहीं मिली.