गरियाबंद – हाई कोर्ट के फैसले के बाद नौकरी के संकट से जूझ रहे प्रदेश के तीन हजार से ज्यादा बीएडधारी सहायक शिक्षक अपनी सेवा सुरक्षा के लिए लगातार प्रयासरत है। राजधानी रायपुर के धरना स्थल में तूता में लगातार ग्यारह दिवस हड़ताल के बाद बारहवे दिन सोमवार को हजारों सहायक शिक्षक अपनी मांगों को लेकर जल समाधि लेंगे। इसके लिए धरना स्थल के समीप स्थित तालाब को चुना गया है। खास बात है की जल समाधि लेने वालों में आदिवासी बाहुल्य राज्य माने जाने वाले छत्तीसगढ़ के आदिवासी संवर्ग के ही 2800 से अधिक सहायक शिक्षक शामिल है।
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उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट के फैसले के बाद b.Ed योग्यता धारी सहायक शिक्षकों को प्राइमरी स्तर के स्कूलों में अध्यापन के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है। कोर्ट ने उन्हे हटाने के भी निर्देश दिए है। जब की सभी शिक्षक अपनी योग्यता और शासन के नियम और गाइडलाइन के अनुरूप भी परीक्षा उत्तीर्ण कर सरकारी सेवा से जुड़े थे। कोर्ट के फैसले के बाद उनके सेवा में ही संकट के बादल मंडराने लगे हैं। एक साल तक बेहतर सेवा प्रदान करने के बाद भी यह शिक्षक आज अपने परिवार और बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए सड़कों पर संघर्ष मजबूर हो गए है।
मीडिया से चर्चा में सहायक शिक्षकों ने बताया कि हम, सरगुजा एवं बस्तर संभाग में कार्यरत बीएड उपाधिधारी सहायक शिक्षक, विगत 15 महीनों से अपनी सेवा- सुरक्षा के संकट का सामना कर रहे हैं। हमारे जैसे हजारों शिक्षक, जो अपने जीवन के बहुमूल्य वर्ष शिक्षा सेवा में समर्पित कर चुके हैं, आज अनिश्चितता और बेरोजगारी के भय में जीने मजबूर हैं। हमारी पीड़ा को समाज और सरकार तक पहुँचाने के लिए नवा रायपुर स्थित तूता धरना स्थल पर बीते 11 दिनों से बीएड प्रशिक्षित आदिवासी सहायक शिक्षकों का आंदोलन जारी है। नौकरी की सुरक्षा और समायोजन की मांग को लेकर शिक्षकों ने गौ सेवा, शिव महापुराण में आशीर्वाद प्राप्त करने से लेकर सामूहिक मुंडन और यज्ञ जैसे शांतिपूर्ण तरीकों से विरोध जताया। बावजूद इसके, उनकी मांगों पर कोई समाधान नहीं निकला है। उन्हें आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णु देव सहाय और सबका साथ सबका विकास की बात करने वाली भाजपा सरकार से काफी उम्मीदें हैं कि उनके साथ अन्याय नहीं होगा लेकिन अब तक सरकार की उदासीनता और नजरंदाजी से सहायक शिक्षक हताश और निराश है। चलते सहायक शिक्षक ने अपने आंदोलन के अगले कड़ी में सामूहिक रूप से तूता धरना स्थल स्थित तालाब में जल समाधि का निर्णय लिया है। सोमवार को हजारों की संख्या में आदिवासी सहायक शिक्षक जल समाधि (सांकेतिक) करेंगे।
आंदोलनकारियों ने बताया कि हमारा उद्देश्य शांतिपूर्ण और संवेदनशील तरीके से अपनी सेवा-सुरक्षा की अपील को सरकार तक पहुँचाना है। यह संघर्ष सिर्फ़ हमारा नहीं, बल्कि शिक्षा की गरिमा और समाज में न्याय की पुनर्स्थापना के लिए है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और प्रदेश की भाजपा सरकार के लिए या बेहद चुनौती पूर्ण हो गया है कि वह कैसे इन 2800 से अधिक बीएड योग्यताधारी सहायक शिक्षकों की नौकरी को बचाएं। भले ही भाजपा इसे कांग्रेस की गलती बता कर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश करें। लेकिन आज पूरे प्रदेश में एक माहौल बन गया है कि अगर किसी सरकार की गलती है तो उसका खामियाजा क्या बेगुनाह युवाओं को क्यों भुगतना पड़े? यह उन युवाओं के लिए भी कुठाराघात है जो अपनी मेहनत और अपने परिश्रम के दम पर आज इस नौकरी को हासिल किए थे। आज एक साल से नियमित रूप से अपनी सेवा दे रहे हैं और उनके स्कूलों में बच्चों के परिणाम भी बेहतर आए हैं। अपने कर्तव्य के पालन में कहीं कमी नहीं रखी। अब राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वे संवेदनशीलता के साथ इस मुद्दे के ध्यान दे आए सबका सबका साथ सबका विकास सबके साथ न्याय के ध्येय को पूरा कर मिशाल कायम करें।