असम के दीमा हसाओ जिले के औद्योगिक शहर उमरांग्सो में बड़ा हादसा हुआ है। यहां 300 फीट गहरी खदान में खुदाई के दौरान पानी भरने से 18 मजदूर फंस गए हैं। जिसके बाद प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया है। सूत्रों के मुताबिक ‘रैट होल’ खदान में करीब 100 फुट तक पानी भर चुका है। यह इलाका मेघालय बॉर्डर के पास पड़ता है।
रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए गुवाहाटी से भी कई टीमों को रवाना किया गया है। रैट होल माइनिंग तकनीक के बारे में जानते हैं।इस तकनीक को विवादास्पद और खतरनाक माना जाता है। इस तकनीक में 4 फीट से कम चौड़ा गड्ढा खोदा जाता है। जिसके बाद कोयला निकाला जाता है। एक बार जब मजदूर कोयले की सीमा तक खुदाई कर देते हैं तो बगल से और सुरंगें खोदी जाती हैं। जिसमें निकाले गए कोयले को डंप किया जाता है। बाद में इसे बाहर निकाल लिया जाता है।इस तकनीक में खुदाई छेनी-हथोड़ों से ही की जाती है। मलबा तसले के सहारे ऊपर पहुंचाया जाता है। मेघालय और असम के कई हिस्सों से इसी तकनीक से खुदाई की जाती है। यहां कोयले की काफी पतली सुरंगें हैं। सुरंगों का आकार छोटा होता है, लिहाजा इसमें किशोरों और छोटे बच्चों की मदद भी ली जाती है। कई बच्चे काम के बदले पैसे के लालच में खुद को वयस्क बताते हैं।
मेघालय में 24 हजार खदानें अवैध
रैट होल सुरंगें संकरी होती हैं, जो पर्यावरण के लिए भी नुकसानदेह मानी जाती हैं। क्योंकि खानों से निकलने वाले अम्लीय पानी और भारी धातुओं से धरती को नुकसान पहुंचता है। इससे कृषि और मानव उपभोग के लिए उपयोग किए जाने वाले जल स्रोतों का पानी जहरीला हो जाता है