अतुल शर्मा, दुर्ग। Chhattisgarh : एक तरफ़ देश में समग्र शिक्षा अभियान संचालित है, दूसरे तरफ़ छत्तीसगढ़ के “एजुकेशन हब” के नाम से मशहूर दुर्ग जिला में शिक्षा व्यवस्था गंभीर समस्याओं से जूझ रही है। कई स्कूलों के एक-एक रूम में पहली से पांचवी तक की कक्षाएं साथ लगती है, कइयों में स्कूल भवन नहीं तो एक स्कूल ऐसा भी जहाँ बच्चों के परिजन चंदा इकट्ठा कर शिक्षकों को सैलरी देते हैं। ऐसे में शिक्षा के अधिकार और समग्र शिक्षा अभियान जैसे बड़े कार्यक्रमों के बावजूद बुनियादी ढांचे की कमी नें सरकारी प्रयासों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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एक रूम में 2-2, 3-3 कक्षाएं संचालित हो रही
छत्तीसगढ़ के एजुकेशन हब दुर्ग जिला के स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था बदहाल है, भवन के कमी के चलते कुछ स्कूलों में एक एक रूम में 2-2, 3-3 कक्षाएं संचालित हो रही है, इन स्कूलों में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्वाचन क्षेत्र पाटन के एक स्कूल भी शामिल है जहाँ एक ही रूम में पहली से लेकर पांचवी तक के कक्षाएं लग रही हैं।
चंदा इकट्ठा कर शिक्षकों को देते हैं सैलरी
धमधा ब्लॉक के प्राथमिक शाला ओटेबंध जहाँ 51 विद्यार्थियों पर सिर्फ़ एक ही शिक्षक है, स्कूल भवन बदहाल है, शिक्षकों की कमी पूरा करने के किए बच्चों के परिजन उनके उज्जवल भविष्य के लिए चंदा इकट्ठा कर देते हैं शिक्षकों को सैलरी देते हैं।
शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिला में कुल 1105 सरकारी स्कूलें है जिनमे 21 स्कूलों के पास ख़ुद का भवन नहीं है, जबकि कुछ में क्लास रूम की कमी है, जिला के सरकारी स्कूलों में 156714 बच्चे पढ़ाई करते हैं, जिला कुल शिक्षकों की संख्या 6449 है।
शिक्षा विभाग द्वारा उपलब्ध आंकड़ों के को देखने से पता चलता है की कई सारे स्कूल ऐसे हैं जहाँ 200 बच्चों पर 12-15 शिक्षक मौजूद है जबकि कई 150 छात्र वाले स्कूलों में सिर्फ 2-3 शिक्षक मौजूद है। नाम ना बताने के शर्त पर कुछ शिक्षकों ने बताया कि ग्रामीण अंचल के शिक्षक एप्रोच लगाकर अपना ट्रांसफर शहरी क्षेत्रों में करा लेते हैं, नतीजन ग्रामीण स्कूलों की हालत बदहाल है।