डेस्क। Share Market : शेयर बाजार का मिजाज बदलना किसी रोलरकोस्टर राइड से कम नहीं होता. कभी अचानक गिरावट से निवेशक घबरा जाते हैं, तो कभी अप्रत्याशित उछाल से बाजार में जोश भर जाता है. आज बाजार फिर से हरे निशान में है और निवेशकों के चेहरे पर मुस्कान लौटी है. लेकिन ऐसा क्या हुआ जो दो दिनों से शेयर बाजार लगातार मजबूत हो रहा है? क्या यह कोई बड़ी आर्थिक नीति का संकेत है या सिर्फ अस्थायी सुधार? आइए जानते हैं उन तीन बड़ी वजहों को, जिनकी वजह से आज बाजार में जबरदस्त तेजी देखने को मिली.
बुधवार को भारतीय शेयर बाजार ने मजबूती के साथ शुरुआत की और यह बढ़त लगातार दूसरे दिन भी जारी रही. सुबह 12:31 बजे तक, बीएसई सेंसेक्स 545.96 अंकों की तेजी के साथ 76,447.37 पर पहुंच गया, जबकि एनएसई निफ्टी 179.85 अंक चढ़कर 23,137.10 पर कारोबार कर रहा था.
स्माल और मिड कैप कंपनियों के शेयरों में भी खरीदारी देखी गई, हालांकि बाजार में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रही. खासतौर पर आईटी सेक्टर में मजबूती आई, जिससे बेंचमार्क इंडेक्स को बड़ा सहारा मिला. इसके अलावा, बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं, फार्मा और ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी बढ़त दर्ज की गई.
1. अमेरिकी फेड पॉलिसी और विदेशी निवेशकों का रिएक्शन
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियां वैश्विक बाजारों, खासतौर पर भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती हैं. मौजूदा समय में फेडरल रिजर्व से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद नहीं है, लेकिन अमेरिकी डॉलर की रैली और बॉन्ड यील्ड में ठहराव से निवेशकों को राहत मिली है.
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह स्थिति भारतीय शेयर बाजार के लिए सकारात्मक मानी जा रही है, क्योंकि इससे विदेशी निवेशकों के मनोबल में सुधार हो सकता है. जनवरी में अब तक विदेशी निवेशकों (FIIs) ने भारतीय बाजार से करीब 79,016 करोड़ रुपये की निकासी की है, लेकिन अब स्थिति कुछ स्थिर होती नजर आ रही है.
2. अमेरिकी टेक कंपनियों की रिकवरी
पिछले दिनों अमेरिकी टेक स्टॉक्स में भारी गिरावट देखी गई थी, जिसका असर भारतीय आईटी शेयरों पर भी पड़ा था. हालांकि, कल के सत्र में अमेरिकी टेक शेयरों में सुधार देखने को मिला, जिसका सीधा असर भारतीय आईटी स्टॉक्स पर पड़ा और निवेशकों ने इसमें जोरदार खरीदारी की.
आईटी कंपनियों की मजबूती से निफ्टी और सेंसेक्स को जबरदस्त सहारा मिला. इस सेक्टर में सुधार का फायदा उन कंपनियों को हुआ, जिनका अमेरिकी बाजार से सीधा जुड़ाव है, क्योंकि डॉलर में स्थिरता से उनकी कमाई पर सकारात्मक असर पड़ता है.
3. केंद्रीय बजट 2025 से उम्मीदें
निवेशक अब आगामी केंद्रीय बजट 2025 पर नजरें गड़ाए हुए हैं. खबरों के मुताबिक, सरकार इस बजट में कर राहत (Tax Relief) और विकास को गति देने वाले उपायों की घोषणा कर सकती है, जिससे उपभोग बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा.
हालांकि, बाजार में उम्मीदें संतुलित हैं, लेकिन अगर बजट में कोई सकारात्मक घोषणा होती है, तो बाजार में और मजबूती आ सकती है. मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (रिसर्च) प्रशांत तापसे का कहना है कि “अब ध्यान फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों पर फैसले और केंद्रीय बजट 2025 पर है, जहां खपत और विकास को बढ़ावा देने वाले कदम उठाए जा सकते हैं.”
मिडकैप और स्मॉलकैप की चाल
एक ओर जहां प्रमुख सूचकांक (सेंसेक्स और निफ्टी) मजबूती दिखा रहे हैं, वहीं मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में सुधार देखने को मिल रहा है. जनवरी में निफ्टी मिडकैप इंडेक्स 9.1% और निफ्टी स्मॉलकैप इंडेक्स 14.7% गिरा है, जिससे संकेत मिलता है कि ओवरवैल्यूड स्टॉक्स में करेक्शन हो रहा है.
विश्लेषकों का मानना है कि यह बाजार के लिए एक अच्छा संकेत है. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट डॉ. वी. के. विजयकुमार के अनुसार, “साल की शुरुआत से अब तक निफ्टी 3.3 फीसदी गिरा है, जबकि मिडकैप इंडेक्स 9.1 फीसदी और स्मॉलकैप इंडेक्स 14.7 फीसदी गिर चुका है. यह आंकड़े दिखाते हैं कि बाजार वैल्यूएशन के औसत स्तर पर लौट रहा है.”
उन्होंने आगे कहा कि “ओवरवैल्यूड स्टॉक्स में करेक्शन होना जरूरी था और यह प्रक्रिया जारी रह सकती है. हालांकि, बाजार में तेज उछाल की संभावना कम है, क्योंकि एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) ऊंचे स्तरों पर मुनाफावसूली कर सकते हैं. अब बाजार केंद्रीय बजट से सकारात्मक संकेतों का इंतजार कर रहा है.”