जांजगीर-चांपा। CG NEWS : जिले के खोखरा भाटा पारा में सरकारी जमीनों पर अवैध निर्माण का मामला सामने आया है। कलेक्टर आकाश छिकारा को इसकी शिकायत मिलने पर उन्होंने जांजगीर तहसील के अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए थे। जांच में 26 से अधिक अपात्र आवास हितग्राही सरकारी जमीन पर मकान बनाते पाए गए। सभी को नोटिस जारी कर निर्माण कार्य रोकने को कहा गया था। शुरुआत में कुछ समय के लिए निर्माण कार्य बंद हुआ, लेकिन बाद में कब्जाधारियों ने फिर से मकान बनाना शुरू कर दिया।
सबसे गंभीर मामला खोखरा भाटा पारा वार्ड नंबर 04 की रहने वाली रेवती बाई का सामने आया, जिन्होंने स्टे ऑर्डर के बावजूद सरकारी जमीन पर मकान बना लिया। तहसीलदार राजकुमार मरावी ने पहले ही इस निर्माण कार्य पर रोक लगाई थी, लेकिन इसके बावजूद सोमवार को मशीन मंगाकर छत की ढलाई पूरी कर ली गई। जब इस अवैध निर्माण की सूचना तहसीलदार और थाना प्रभारी को दी गई, तो तहसीलदार ने अपने नगर सैनिक को मौके पर भेजा, लेकिन कोई अधिकारी या पुलिस बल वहां नहीं पहुंचा।
नगर सैनिक ने रेवती बाई को निर्माण कार्य रोकने के लिए कहा, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। न तो निर्माण में लगी मशीन जब्त की गई, न ही कब्जाधारियों पर कोई प्रतिबंधात्मक कार्रवाई हुई। अधिकारी मुख्यालय में बैठे तमाशा देखते रहे और कब्जाधारी मकान बनाने में सफल हो गए। इस तरह प्रशासनिक निष्क्रियता और नियमों की अवहेलना सामने आई।
ग्राम पंचायत खोखरा के आवास मित्र की भूमिका संदिग्ध
खोखरा भाटा पारा में अवैध निर्माण के पीछे आवास मित्र की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। अपात्र लोगों को पात्र बनाकर उनके खाते में प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि डाली गई। जब कलेक्टर को इसकी जानकारी हुई, तो तहसीलदार को जांच करने के निर्देश दिए गए। जांच में 26 से अधिक लोगों को अपात्र पाया गया, लेकिन उन्हें पहले और दूसरे किस्त की राशि मिल चुकी थी।
आवास मित्र ने उन अपात्र लोगों के मकानों के फोटो खींचकर दूसरी किस्त के लिए विभाग को भेज दिया, जबकि उसे पहले से ही जानकारी थी कि इन मकानों के निर्माण पर रोक लगी हुई है। इससे साफ होता है कि आवास मित्र और अपात्र हितग्राहियों के बीच मिलीभगत है।
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर इन्हें इतनी छूट कौन दे रहा है? कौन इस पूरे खेल को चला रहा है? क्या इसकी उच्चस्तरीय जांच होगी? प्रशासनिक निष्क्रियता के कारण सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों के हौसले बुलंद हो गए हैं।
क्या चलेगा सरकारी बुलडोजर?
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रशासन सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए बुलडोजर चलाएगा या यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा। सवाल यह भी है कि क्या प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिली अवैध राशि की रिकवरी होगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी या नहीं।
तहसीलदार राजकुमार मरावी ने इस मामले में कहा कि उन्होंने नगर सैनिक को भेजा था, लेकिन थाने से पुलिस बल नहीं मिलने के कारण मशीन की जब्ती नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि स्टे ऑर्डर का उल्लंघन करने के लिए रेवती बाई को जेल भेजने की कार्रवाई की जाएगी।