गरियाबंद नगर पालिका चुनाव: भाजपा की धमाकेदार जीत, आसिफ मेमन ने रचा इतिहास, संदीप की हैट्रिक, सूरज सबसे युवा पार्षद!
गरियाबंद नगर पालिका चुनाव में भाजपा ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 15 में से 9 सीटों पर कब्जा जमाया, जबकि कांग्रेस को 4 और निर्दलीय उम्मीदवारों को 2 सीटें मिलीं। भाजपा की एकजुटता और संगठन की ताकत ने पार्टी को बड़ी जीत दिलाई, जबकि निर्दलीय और कांग्रेस प्रत्याशियों ने भी अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई।
आसिफ मेमन ने हैट्रिक के साथ साथ रचा रिकॉर्ड, संदीप ने लगाई हैट्रिक
आसिफ मेमन ने इस चुनाव में नया रिकॉर्ड कायम करते हुए 375 वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की। वहीं, संदीप ने लगातार तीसरी बार जीतकर हैट्रिक बनाई और अपनी मजबूत पकड़ साबित की।
आसिफ मेमन ने नगरपालिका चुनाव में हैट्रिक के साथ-साथ सबसे ज़्यादा मतों से जीतकर नया कीर्तिमान स्थापित किया।
“मैं सिर्फ सेवा करना चाहता हूँ, और जनता ने मुझे अपना सेवक बनाये रखा है,” आसिफ ने अपनी ऐतिहासिक जीत पर भावुक होते हुए कहा।
उन्होंने अपनी जीत को केवल अपनी नहीं, बल्कि पूरी जनता की जीत बताया, और यह भी कहा , “जब भी परिवार ने मेरा हाथ थामा, मैंने जीत हासिल की, और आज यह जीत मेरी नहीं, बल्कि जनता और मेरे परिवार की है।”
आसिफ की यह जीत सिर्फ एक चुनावी सफलता नहीं, बल्कि उनके परिवार और जनता के अटूट संबंधों का प्रतीक बन गई है।
नगरपालिका चुनाव में संदीप ने तीसरी बार जीतकर साबित कर दिया कि जनता का विश्वास सबसे बड़ी ताकत है।
“जनता का विश्वास जीतना ही मेरी सबसे बड़ी जीत है,” संदीप ने कहा, जब उन्होंने अपनी ऐतिहासिक हैट्रिक पर प्रतिक्रिया दी।तीसरी बार जीतने के बाद उन्होंने अपनी सेवा और समर्पण को और मजबूत करने का संकल्प लिया।
यह जीत सिर्फ एक चुनावी सफलता नहीं, बल्कि जनता के साथ गहरे रिश्ते और विश्वास की कहानी है।
सबसे कम उम्र के पार्षद बने सूरज, सबसे कम वोटों से जीते निरंजन
इस बार चुनाव में कई रोचक नतीजे सामने आए। सूरज सबसे कम उम्र में पार्षद बनने का गौरव हासिल कर चुके हैं, जबकि निर्दलीय प्रत्याशी निरंजन प्रधान मात्र 4 वोटों के अंतर से चुनाव जीतकर सबसे कम वोटों से जीतने वाले पार्षद बने।
सबसे कम उम्र के पार्षद बने सूरज ने अपनी ऐतिहासिक जीत पर कहा, “आलाकमान का विश्वास और बीजेपी के एक छोटे कार्यकर्ता को इतनी बड़ी जिम्मेवारी देना मेरे लिए गर्व की बात है।”
उन्होंने कहा, “मैं सिर्फ और सिर्फ शिक्षा और स्वच्छता की सेवा के साथ मैदान में उतरा था, और जनता ने भाजपा की नीति और हमारे वरिष्ठ नेताओं पर विश्वास दिखाया।”
सूरज ने यह भी कहा, “जनता ने मुझे जो समर्थन और विश्वास दिया है, मैं उसे कभी टूटने नहीं दूंगा। यह जीत मेरी नहीं, बल्कि संगठन और जनता की जीत है।”
उन्होंने संकल्प लिया, “मेरे लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी यह है कि मैं जनता का विश्वास कायम रखते हुए उनके बीच सेवा का हर पहलू पूरी ईमानदारी से लागू करूँ।”
सूरज की जीत ने यह सिद्ध कर दिया कि उम्र कोई मायने नहीं रखती, अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
उनकी सफलता न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष की पहचान है, बल्कि युवा शक्ति और समर्पण का भी प्रतीक है।
निरंजन ने इस बार नगरपालिका चुनाव में भाजपा, कांग्रेस और एक निर्दलीय उम्मीदवार को पीछे छोड़ते हुए चार वोटों से शानदार जीत हासिल की।
उन्होंने अपनी जीत को केवल अपने संघर्ष और समर्पण का परिणाम बताया, और कहा, “मैं हमेशा विकास और कार्य को प्राथमिकता देता हूँ।”
निरंजन ने यह भी कहा, “मैं सिर्फ ज़रूरतमंदों की मदद के लिए आया हूँ, और सेवा मेरी पहली प्राथमिकता है।”
इस चौकाने वाली जीत से यह साफ हो गया कि निरंजन का जनता के बीच मजबूत आधार है।
उनकी जीत ने यह साबित कर दिया कि सच्चे सेवा भाव और कार्य के प्रति समर्पण से राजनीति में बदलाव लाया जा सकता है।
नए चेहरों को जनता का भरोसा
नगर पालिका चुनाव में 15 में से 11 नए पार्षद चुने गए, जबकि सिर्फ 4 पुराने पार्षद अपनी सीट बचा सके। इस बार 9 पुरुष और 6 महिला पार्षद चुनकर आए हैं, जिससे बोर्ड में संतुलन नजर आ रहा है।
भाजपा की रणनीति ने दिलाई बड़ी जीत
भाजपा ने चुनाव में अपनी एकजुटता और मजबूत संगठन के दम पर कांग्रेस को करारी शिकस्त दी। पार्टी के 9 पार्षदों की जीत ने यह साबित कर दिया कि जनता ने विकास और स्थिरता के नाम पर भाजपा को प्राथमिकता दी है।
अब सबकी निगाहें नए पार्षदों पर हैं कि वे जनता की उम्मीदों पर कितना खरा उतरते हैं और आने वाले दिनों में नगर के विकास के लिए क्या कदम उठाते हैं।