अमली पदर ग्राम पंचायत में इस बार के पंचायत चुनावों ने एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया, जो राजनीति से परे आपसी सौहार्द्र और लोकतांत्रिक मूल्यों की नई परिभाषा गढ़ता है। वार्ड क्रमांक 4 में जब मतगणना पूरी हुई, तो दोनों प्रत्याशी—आस्था तिवारी और सावित्री ताम्रकार—को समान संख्या में वोट मिले। ऐसी स्थिति में जहां आमतौर पर पुनर्मतदान या अन्य कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाती है, वहीं आस्था तिवारी ने चौंकाने वाला लेकिन प्रेरणादायक निर्णय लिया।
ग्राम की शांति और एकता को प्राथमिकता देते हुए, आस्था तिवारी ने अपने प्रतिद्वंद्वी सावित्री ताम्रकार को समर्थन देने का निर्णय किया। उन्होंने इसे व्यक्तिगत हार नहीं, बल्कि सामुदायिक जीत बताया। उनके इस फैसले से न सिर्फ ग्रामवासियों को हैरानी हुई, बल्कि उन्होंने इसे लोकतंत्र में सहयोग और सौहार्द्र की मिसाल भी माना।
आस्था तिवारी ने अपने निर्णय के पीछे का कारण स्पष्ट करते हुए कहा, “हम दोनों पड़ोसी हैं, एक ही समाज का हिस्सा हैं। यदि इस चुनाव को लेकर विवाद होता, तो यह ग्राम पंचायत के सौहार्द्र को नुकसान पहुंचा सकता था। राजनीति का उद्देश्य विकास और सेवा होना चाहिए, न कि मनमुटाव और संघर्ष।” उन्होंने सावित्री ताम्रकार से यह वचन लिया कि वे अपने कार्यकाल में पूरे समर्पण और निष्ठा के साथ ग्रामवासियों की सेवा करेंगी।
आस्था तिवारी के इस निर्णय की पूरे गांव में सराहना हो रही है। वरिष्ठ नागरिकों से लेकर युवा तक इसे लोकतांत्रिक मूल्यों की सच्ची जीत मान रहे हैं। इस घटना ने यह सिद्ध कर दिया कि राजनीति केवल पद और शक्ति का संघर्ष नहीं, बल्कि आपसी सहयोग और समाज के हित के लिए लिए गए फैसलों की कसौटी भी है।
अमली पदर पंचायत में घटित यह घटना आने वाले समय में राजनीति को नई दिशा देने वाली मिसाल साबित हो सकती है।