दुर्ग | CG: जिले का धमधा क्षेत्र टमाटर उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है और इसे टमाटर का हब कहा जाता है। यहां के किसान हर साल लाखों टन टमाटर की खेती करते हैं, जिससे पूरे प्रदेश में इसकी आपूर्ति होती है। लेकिन इस साल टमाटर की अधिक पैदावार के कारण किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। बाजार में टमाटर के दाम इतने गिर चुके हैं कि किसान इसे खेतों में ही सड़ने के लिए छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।
बता दे की धमधा क्षेत्र में करीब 25 हजार एकड़ में टमाटर की खेती होती है, जिससे हर साल 1.90 लाख मीट्रिक टन से अधिक टमाटर का उत्पादन होता है। इस क्षेत्र के 70% किसान टमाटर की खेती करते हैं, क्योंकि यह फसल पहले काफी लाभदायक मानी जाती थी। लेकिन इस बार बाजार में टमाटर की भरमार होने के कारण इसकी कीमतें न्यूनतम स्तर तक गिर गई हैं।साथ ही थोक मंडियों में टमाटर की कीमत 1-2 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है।किसानों को अपनी लागत तक निकालना मुश्किल हो रहा है।
कई किसान टमाटर तोड़ भी नहीं पा रहे, क्योंकि मजदूरी का खर्चा नहीं निकल पा रहा।खेतों में टमाटर सड़ रहे हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।कुछ महीने पहले ही टमाटर की कीमतें 200 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई थीं, जिससे आम लोगों के लिए इसे खरीदना मुश्किल हो गया था। लेकिन अब इसके अत्यधिक उत्पादन के कारण किसानों को इसका सही मूल्य नहीं मिल पा रहा। यह हालात सिर्फ धमधा में ही नहीं, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी देखे जा रहे हैं, जहां टमाटर की फसल अधिक होने से दाम गिर गए हैं।
वहीं टमाटर की खेती करने वाले एक किसान का कहना है,
हमने 40 एकड़ में टमाटर लगाया था और इस पर करीब 40 लाख रुपए खर्च किए थे। लेकिन इस बार बाजार में टमाटर का भाव इतना गिर गया है कि लागत भी नहीं निकल पा रही। मजदूर नहीं मिलने के कारण हमें टमाटर खेतों में ही छोड़ना पड़ रहा है।इस बार टमाटर की बंपर फसल हुई, जिससे बाजार में इसकी अधिकता हो गई।
अधिक सप्लाई होने के कारण कीमतें गिर गईं। टमाटर जल्दी खराब होने वाली फसल है, लेकिन किसानों के पास इसे स्टोर करने के लिए पर्याप्त कोल्ड स्टोरेज की सुविधा नहीं है,बाजार में दलालों का नियंत्रण: व्यापारी और बिचौलिये अक्सर किसानों से कम दाम में टमाटर खरीदते हैं और बाद में ऊंचे दामों पर बेचते हैं।निर्यात और सरकारी नीति की कमी: टमाटर का निर्यात बढ़ाने या सरकारी खरीद की कोई ठोस नीति नहीं है, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
एक अन्य युवा किसान ने बताया,टमाटर का उत्पादन अच्छा हुआ है, लेकिन बाजार में कोई खरीदार नहीं है। 10 रुपए प्रति किलो भी नहीं बिक रहा, जबकि मंडी में कीमत 1-2 रुपए तक आ चुकी है। इससे परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है।
दुर्ग ज़िले के धमधा क्षेत्र में टमाटर की पैदावार ने किसानों को संकट में डाल दिया है। लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है, जिससे किसान हताश और परेशान हैं। जब टमाटर के दाम बढ़ते हैं, तो आम जनता इसे खरीदने से डरती है, और जब दाम गिरते हैं, तो किसान संकट में आ जाते हैं।
ऐसे में, सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। यदि उचित कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में किसान टमाटर की खेती से मुंह मोड़ सकते हैं, जिससे आपूर्ति और मांग का संतुलन बिगड़ सकता है।