बिलासपुर | CG: SECL’ के चिरमिरी क्षेत्र कोयलांचल नगरी के एक विधवा पेंशन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया जिसमें एक कर्मचारी स्वर्गीय नारायण महाराज जिनकी दो पत्नियों थी दोनों पत्नी उनके साथ रहते थे दोनों पत्नियों से उनके बच्चे भी थे लगभग 25 वर्ष पहले उनकी मृत्यु हो जाती है. जलाराम महाराज की मृत्यु के उपरांत उनकी पत्नी के द्वारा पेंशन की सुविधा लेने के लिए चिरमिरी के मुख्यालय में आवेदन प्रस्तुत करती हैं.
लेकिन हिंदू लॉ के मुताबिक एक पत्नी के रहते दूसरी शादी करना असम वैधानिक माना जाता है तथा पेंशन एवं अन्य सुविधाओं से दोनों पत्नियों को वंचित रहना पड़ता है क्योंकि जनरल महाराज की मृत्यु के उपरांत पहली पत्नी का भी स्वर्गवास 1 वर्ष बाद हो गया कोल इंडिया द्वारा दूसरी पत्नी राधा देवी को पेंशन देने से इनकार कर दिया गया.
पीएफ विभाग द्वारा उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया क्योंकि राधा देवी के बच्चे भी थे उनके लालन-पालन के लिए उनके उनके पास पेंशन के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।राधा देवी के द्वारा हाईकोर्ट बिलासपुर छत्तीसगढ़ में एक पिटीशन दायर किया गया जनरल महाराज की विधवा होने के नाते मुझे पेंशन का लाभ दिया जाए लेकिन छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के दोनों बैंचों से उनका आवेदन खारिज कर दिया गया.
तदुपरांत राधा देवी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाई जहां सुप्रीम कोर्ट ने राधा देवी के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला देते हुए आदेश दिया की क्योंकि राधा देवी नारायण महाराज के अंतिम समय में सेवा की तथा उनसे बच्चे भी थे इसलिए राधा देवी को पेंशन चालू किया जाए और बकाया राशि का भुगतान मैं एरियस उन्हें दिया जाए जब से कोर्ट का आदेश हुआ है। 23 साल की लंबी लड़ाई के बाद अंततः एरियर एवं पेंशन का भुगतान चालू हो गया