गरियाबंद में आज रमजान के पवित्र महीने का 27वां रोजा था, इस मुबारक मौके को और भी यादगार बनाने के लिए समाजसेवी इमरान उर्फ इम्मू दिलेर भाई जान ने ऐसा काम किया कि हर दिल में उनके लिए इज्जत और प्यार और गहरा हो गया। अपने दिलेराना अंदाज और नेक जज्बे के साथ इम्मू दिव्यांग स्कूल पहुंचे। उनके हाथों में न सिर्फ स्वादिष्ट खाद्य सामग्री थी, बल्कि उनके दिल में इन बच्चों के लिए बेपनाह मोहब्बत भी थी। उन्होंने एक-एक बच्चे को अपने हाथों से खाना परोसा, उनके साथ बैठकर रोजा खोला और उनकी मुस्कुराहटों में अपनी खुशी तलाश की। ये मंजर इतना भावुक था कि वहां मौजूद लोगों की आंखें छलक आईं, और हर कोई इस नेकदिल इंसान की तारीफ करते नहीं थक रहा था।
इम्मू दिलेर भाई जान ने गहरी सांस लेते हुए, आंखों में हल्की नमी और दिल में ढेर सारा सुकून लिए कहा, “जब मैं इन बच्चों को देखता हूं, तो मुझे लगता है कि असली सुपर पावर यही हैं। ये वो फरिश्ते हैं जो हमें जिंदगी का असली मतलब सिखाते हैं। लोग इन्हें दिव्यांग कहते हैं, लेकिन मेरे लिए ये कमी नहीं, बल्कि एक खूबसूरत ताकत है जो इनके अंदर भरी पड़ी है। मैं जब भी इनके पास आता हूं, मेरे दिल को सुकून मिलता है, मेरी रूह को ताकत मिलती है। इनके बीच रोजा खोलना मेरे लिए सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि एक ऐसा लम्हा है जो मुझे जिंदगी की हर मुश्किल से लड़ने की हिम्मत देता है।”
उन्होंने रुकते हुए, गहरी भावनाओं के साथ आगे कहा, “मैं अक्सर इन बच्चों के बीच आता हूं। इनकी हर मुस्कान मेरे लिए ईद से कम नहीं। मैं हर खुशी, हर मौका इनके साथ मनाता हूं, क्योंकि ये बच्चे मेरे लिए मेरे अपने हैं। मेरा दिल कहता है कि काश हर इंसान इनके पास आए, इनके साथ वक्त बिताए। मैं आप सब से हाथ जोड़कर गुजारिश करता हूं कि अपनी सालगिरह, अपने बच्चों के जन्मदिन, अपने जीवन के खास मौके इन सुपर पावर बच्चों के साथ मनाएं। इनकी एक हंसी आपके दिल को वो खुशी देगी, जो दुनिया की कोई दौलत नहीं दे सकती। ये बच्चे मेरे लिए मेरी ताकत हैं, मेरी प्रेरणा हैं, और मैं चाहता हूं कि हर कोई इनसे कुछ सीखे, इनके साथ कुछ पल जिए।”
इम्मू के इस नेक काम और उनकी भावुक अपील ने पूरे गरियाबंद में हलचल मचा दी है। लोग उनकी इस सोच और जज्बे की जमकर तारीफ कर रहे हैं। अब हर तरफ बस एक ही नाम गूंज रहा है- “इम्मू दिलेर भाई जान”, जो न सिर्फ अपने काम से, बल्कि अपने दिल से भी सबके लिए मिसाल बन गए हैं।