Cheti Chand: चैत्र शुक्ल द्वितीया से सिंधी नववर्ष का शुभारंभ होता है, जिसे चेटीचंड के नाम से जाना जाता है। चैत्र मास को सिंधी भाषा में ‘चेट’ और चांद को ‘चण्डु’ कहा जाता है। इसीलिए चेटीचंड का अर्थ है ‘चैत्र का चांद’। इस वर्ष यह पावन पर्व 30 अप्रैल, रविवार को मनाया जा रहा है। इस अवसर पर सिंधी समाज के लोग गरियाबंद के स्वामी आत्मानंद स्कूल के समीप एकत्रित हुए, जहां समाज द्वारा चेटीचंड के पर्व पर हजारों श्रद्धालुओं के लिए शरबत और चना प्रसाद का वितरण किया गया। इस धार्मिक आयोजन में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली, जो प्रसाद ग्रहण करते हुए आनंद और भक्ति में डूबे नजर आए।
चेटीचंड (Cheti Chand) का क्या महत्व है?
सिंधी इस त्योहार को भगवान झूलेलाल के जन्मदिन समारोह के रूप में मनाते हैं, जिन्हें उदरोलाल के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें उनके संरक्षक संत के रूप में जाना जाता है। इस दिन वरुण देव झूलेलाल के रूप में अवतरित हुए थे। उन्होंने सिंधी संस्कृति और हिंदू धर्म को होने से बचाने के लिए अवतार लिया था। अत: इस दिन जल देवता की पूजा कर उनका आभार जताया जाता है। हिंदू पंचाग के चैत्र माह को एक महत्वपूर्ण महीना माना जाता है जिसे सिंधी समुदाय द्वारा ‘चेत’ कहा जाता है। इसके अलावा, उनके पंचांग के अनुसार प्रत्येक नया महीना अमावस्या यानी ‘चांद’ से शुरू होता है। इसलिए, उत्सव पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है और इस दिन को चेटीचंड नाम दिया गया है।