सक्ती। Maa Kankalin Dai: जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर ग्राम बाराद्वार बस्ती में स्थित ऐतिहासिक गढ़ में मां कंकालिन दाई का प्राचीन मंदिर विराजमान है। यह मंदिर रजवाड़े काल में स्थापित किया गया था और आज भी अपनी भव्यता और आस्था का केंद्र बना हुआ है।
बता दें कि यह गढ़ तालाब से घिरा हुआ है, जिससे इसकी सुंदरता और धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।कुल देवी के रूप में पूजी जाती हैं मां कंकालिन दाई बाराद्वार बस्ती के इस गढ़ में मां कंकालिन दाई को वहां के राजा परिवार ने अपनी कुल देवी के रूप में स्थापित किया था।
यह मंदिर गढ़ के ऊपरी हिस्से में स्थित है, जिसके चारों ओर एक विशाल सरोवर बना हुआ है। वर्षों से यह स्थल न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक धरोहर के रूप में भी प्रसिद्ध है।गांव में नहीं होती मां दुर्गा की मूर्ति स्थापना – जहां पूरे देश और प्रदेश में शारदीय नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है, वहीं बाराद्वार बस्ती में यह परंपरा नहीं निभाई जाती।
माना जाता है कि एक बार गांव में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित कर पूजा करने का प्रयास किया गया था, लेकिन इसके बाद पूरे गांव में संकट आ गया। इसके बाद ग्रामीणों ने कुल देवी मां कंकालिन दाई से क्षमा याचना की, तब जाकर स्थिति सामान्य हुई। तभी से यहां मां दुर्गा की मूर्ति पंडाल में नहीं बैठाई जाती।
गढ़ में मिलते हैं कीमती धातु इस ऐतिहासिक गढ़ में आज भी ग्रामीणों को सोने-चांदी जैसे कीमती धातु मिलने की घटनाएं सामने आती हैं। इसे लेकर कई किवदंतियां प्रचलित हैं। वहीं, यहां एक पुरानी लोक कथा भी प्रसिद्ध है, जिसमें कहा जाता है कि सरोवर में चल रही एक नाव किसी पर नाराज होकर सरोवर से बाहर आकर एक पेड़ पर खड़ी हो गई थी। इस कथा के प्रमाण स्वरूप आज भी उस स्थान पर कुछ अवशेष देखे जाते हैं। हालांकि, इसकी विस्तृत जानकारी अप्राप्त है।