अंगेश हिरवानी। नगरी(धमतरी) CG: छग की जीवनरेखा कही जाने वाली महानदी जो कि छग और उड़ीसा राज्य के किसानों के लिए एक वरदान से कम नहीं है वहीं कई गांव और शहर के लोगो की प्यास बुझाकर उन्हें जीवन प्रदान करती है।
इस नदी की उत्पत्ति धमतरी जिले के सिहावा स्थित महेंद्रगिरी पर्वत को माना जाता है जहां सप्तऋषियों में से एक ऋर्षि श्रृंगी का तपोस्थल है, साथ ही इस पर्वत को भगवान परशुराम का भी तपोस्थली माना जाता है।
इस पर्वत के निचले हिस्से में एक अनोखा गुफा स्थित है जिसे काली गुफा कहा जाता है यह गुफा रहस्यों से भरा हुआ है इस गुफा के अंदर बहुत ही सुनसान और अंधेरे स्थान पर माता काली, माता दुर्गा और माता चंडी देवी विराजमान है, जहां चैत्र एवं कुंवार नवरात्र के अवसर पर श्रद्धालुओं के द्वारा मनोकामना दीप प्रज्ज्वलित की जाती है।
माता के दरबार में जो व्यक्ति पवित्र मन से दर्शन करने आता है उनकी मनोकामना अवश्य ही पूरी होती है।
काली गुफा के पुजारी ने जानकारी देते हुए बताया कि रामायण काल में जब अहिरावण का वध करने के लिए माता सीता ने माता काली का विकराल रूप लिया था तब इसी स्थान पर आकर वह शांत हुई थी और जिस जगह पर उनके चरण पड़े उस जगह पर आज भी मां काली का पदचिन्ह है जो कि गुफा के अंदर एकदम कोने पर स्थित है।
मनोकामना ज्योत होती है प्रज्वलित
इस गुफा में मातारानी का दर्शन करने जो श्रद्धालु आते है उन श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है जिससे वे क्वांर और चैत्र नवरात्र के अवसर पर यहां पहुंचकर मनोकामना ज्योत जलाते हैं। इस चैत्र नवरात्र पर कुल 9 मनोकामना ज्योत जलाई गई है जो कि सिहावा अंचल के साथ गरियाबंद, कांकेर, बस्तर और उड़ीसा क्षेत्र के भी श्रद्धालु शामिल हैं।
धार्मिक आस्था के साथ रोमांच भरा सफर
हमारे संवाददाता जब इस गुफा में प्रवेश किए तब वहां कुछ श्रद्धालुजन दर्शन कर वापस लौट रहे थे उनसे जानकारी मिली कि यह रास्ता बड़े बड़े पत्थरों और चट्टानों से लदा पड़ा है इस रास्ते पर ध्यान और सावधानी बहुत जरूरी है। बताया जाता है कि इस रास्ते से ही तेंदुआ, भालू, लकड़बग्घा आदि जंगली जानवर पहाड़ी से नीचे उतरकर नीचे स्थित तालाब में पानी पीने आते जाते है, खासकर जब लोगो की आवाजाही कम होती है तब इस गुफा में अकेले जाना आसान नहीं है। पुजारी जी ने आगे बताया कि इस गुफा में आज तक किसी जंगली जानवर ने मानव पर हमला नही किया है।
गुफा के ऊपर है मधुमक्खी के कई छत्ते
जब संकरी रास्तों और पत्थरों से चिपककर इस गुफा को पार करके आगे बढ़ते है तब गुफा के ऊपरी हिस्से पर मधुमक्खी के कुछ छत्ते दिखलाई पड़ते हैं जहां की मधुमक्खियां आसपास मंडराती रहती हैं। इन मधुमक्खियों के बारे में पुजारी जी ने बताया कि यह प्रायः इसी जगह पर रहती हैं साथ ही आसपास खाली जगह होने के कारण नवरात्र में नवकन्या पूजन इसी स्थान पर किया जाता है उन्होंने आगे बताया कि इन मधुमक्खियों ने आजतक किसी भी व्यक्ति पर हमला नही किया है यह सब माता की कृपा के कारण ही संभव है।