गरियाबंद, 9 अप्रैल 2025। छत्तीसगढ़ सरकार ने लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा और निष्पक्ष शासन की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए राज्य भर में दर्ज 103 गैर-गंभीर राजनीतिक प्रकरणों को वापस लेने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह फैसला मंत्रिपरिषद की बैठक में मंत्रिमंडलीय उपसमिति की अनुशंसा के आधार पर लिया गया, जिसमें गरियाबंद जिले के 6 प्रकरण भी शामिल हैं।
उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री श्री विजय शर्मा ने इस निर्णय को लोकतंत्र की मजबूती के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि, “राजनीतिक कार्यकर्ताओं को अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए दंडित नहीं किया जाएगा। हमारी सरकार सुशासन और पारदर्शिता में विश्वास रखती है।” उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में दर्ज कई राजनीतिक प्रकरण ऐसे थे जो केवल शांतिपूर्ण विरोध और अभिव्यक्ति के अधिकार के तहत किए गए थे।
गरियाबंद जिले में वापस लिए गए प्रमुख प्रकरण इस प्रकार हैं:
• बस स्टैंड चौराहे पर चक्काजाम और शासकीय कार्य में बाधा के मामले में डमरूधर पुजारी, गोवर्धन मांझी, गुरुनारायण तिवारी, पुनीत राम सिन्हा, लबोधर साहू, गाडाराम उर्फ धनीराम सिन्हा, अर्णव ठाकुर और विभा अवस्थी के खिलाफ दर्ज मामला 15 जनवरी 2025 को न्यायालय द्वारा वापस लिया गया।
• बस्तर में भाजपा कार्यकर्ता की हत्या के विरोध में रास्ता अवरोध करने के मामले में संदीप पांडे, किशन काण्डरा और गुलशन सिन्हा के खिलाफ दर्ज मामला 20 जनवरी 2025 को न्यायालय से वापस लिया गया।
• एनएच 130 पर चक्काजाम और नारेबाजी के मामलों में कुल 30 से अधिक कार्यकर्ताओं के विरुद्ध पंजीबद्ध मामलों को 5 मार्च 2025 को न्यायालय द्वारा वापसी की स्वीकृति मिली।
• ग्राम उरमाल चौराहा और अन्य स्थानों पर विरोध प्रदर्शन में दर्ज सभी मामले भी 5 मार्च 2025 को न्यायालय द्वारा वापस लिए गए।
कानूनी प्रक्रिया के तहत निर्णय
राज्य शासन ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय एक व्यापक और विधिसम्मत प्रक्रिया के तहत लिया गया। सभी जिलों से प्राप्त रिपोर्टों की समीक्षा कर, केवल उन्हीं मामलों को चुना गया जिनमें कोई हिंसक गतिविधि नहीं थी। इसके बाद मंत्रिपरिषद की स्वीकृति और न्यायालय की अनुमति प्राप्त कर अभियुक्तों के नाम पुलिस रिकॉर्ड से हटाए गए।
उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने कहा कि, “यह निर्णय न केवल न्यायपूर्ण है बल्कि यह लोकतंत्र की नींव को मजबूत करता है। हमारी सरकार का स्पष्ट मत है कि शांतिपूर्ण राजनीतिक विरोध, लोकतंत्र का हिस्सा है और इससे किसी नागरिक को दंडित नहीं किया जाना चाहिए।”
छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने यह निर्णय लेकर यह संदेश दिया है कि वह तुष्टिकरण और दमन की बजाय निष्पक्षता, पारदर्शिता और न्याय की राह पर चल रही है। यह पहल राज्य में लोकतांत्रिक संवाद को प्रोत्साहित करने और सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाए रखने की दिशा में एक सराहनीय कदम माना जा रहा है।