अंगेश हिरवानी,नगरी।CG NEWS :धमतरी जिले में स्थित जनपद पंचायत नगरी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) की एक कार्यवाही ने क्षेत्र में विवाद पैदा कर दिया है। सीईओ ने आदिवासी महिला सरपंच श्रीमती कुसुमलता को एक नोटिस जारी किया है, जिसके बाद सरपंच संघ के सदस्य आक्रोशित हो गए हैं। इस विवाद ने प्रशासनिक स्तर पर भी असंतोष को जन्म दिया है, और अब स्थानीय जनता तथा कर्मचारियों ने जिला कलेक्टर से सीईओ की तत्काल पदस्थापना की मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
मामला उस समय तूल पकड़ा जब ग्राम पंचायत घुटकेल की महिला सरपंच श्रीमती कुसुमलता ने गांव की मूलभूत समस्याओं जैसे पेयजल संकट और सफाई व्यवस्था पर चर्चा करने के लिए एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक की सूचना देने के लिए उन्होंने पंचायत के लेटरपैड का उपयोग किया। लेकिन जनपद पंचायत नगरी की सीईओ ने इसे शासकीय दस्तावेजों के दुरुपयोग के रूप में देखा और छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 87, 89 और 40 का उल्लंघन मानते हुए नोटिस जारी कर दिया। सीईओ ने नोटिस में यह चेतावनी दी कि अगर सरपंच 7 दिन के भीतर स्पष्टीकरण नहीं देती हैं तो उनके खिलाफ निष्कासन की अनुशंसा की जाएगी।
सरपंच की प्रतिक्रिया
इस नोटिस के बाद सरपंच श्रीमती कुसुमलता ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “ग्राम पंचायत के सचिव हड़ताल पर हैं और गांव में पेयजल संकट जैसे गंभीर मुद्दों पर ग्रामीण मुझसे लगातार सवाल कर रहे थे। मैं मानसिक रूप से परेशान हो चुकी थी और इसलिए सभी को एक साथ समझाने के लिए बैठक बुलाई। पंचायत लेटरपैड का उपयोग सिर्फ सूचना देने के लिए किया, कोई गलत उद्देश्य नहीं था।” उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य केवल जनहित था और शासकीय दस्तावेजों का दुरुपयोग करने का उनका कोई इरादा नहीं था।
सरपंच संघ का विरोध
इस मामले को लेकर सरपंच संघ ने जनपद पंचायत कार्यालय का घेराव किया। संघ के अध्यक्ष उमेश देव ने सीईओ की कार्रवाई को “अधिनियम की मनमानी व्याख्या” और “नव-निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का अपमान” बताया। उनका कहना था कि एक प्रशासक को अपने अधिकार की सीमा समझनी चाहिए, और यह स्पष्ट किया कि सीईओ के पास धारा लगाने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि विधि संगत कार्यवाही का अधिकार केवल अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) या जिला कलेक्टर को है।
सीईओ की कार्यप्रणाली पर सवाल
यह पहली बार नहीं है जब सीईओ की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं। इससे पहले भी जिला कलेक्टर ने सीईओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसमें उनके पूर्व के प्रशासनिक निर्णयों और कार्यशैली की आलोचना की गई थी।
सीईओ की कार्यप्रणाली के खिलाफ नाराजगी न केवल जनप्रतिनिधियों में बल्कि विभागीय कर्मचारियों और आम जनता में भी देखी जा रही है। जनपद पंचायत नगरी में योजनाओं और कार्यों के संचालन में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं।
आखिरकार क्या होगा?
सरपंच संघ ने अपनी मांगों को लेकर चेतावनी दी है कि यदि सीईओ का यह नोटिस वापस नहीं लिया जाता और संबंधित सरपंच को संतुष्ट नहीं किया जाता, तो वे लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन करेंगे। संघ ने यह भी कहा है कि नगरी जनपद पंचायत में किसी अनुभवी और संवेदनशील अधिकारी की पदस्थापना की जाए, ताकि विकास की गति में रुकावट न आए और लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान सुनिश्चित किया जा सके।
सीईओ का पक्ष
इस मामले में सीईओ से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वे कार्यालय में उपलब्ध नहीं थे। बाद में दूरभाष पर उनसे संपर्क किया गया, तो उन्होंने इस मामले में कोई जानकारी देने के लिए समय न होने की बात कही।