महासमुंद।CG NEWS :महासमुंद जिले से होकर बहने वाली छत्तीसगढ़ की प्रमुख जीवनरेखा *महानदी* आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। वजह है – बेलगाम अवैध रेत खनन, जो न केवल पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित हो रहा है, बल्कि राज्य सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व से भी वंचित कर रहा है।
प्रशासन मौन, रेत माफिया बेलगाम
जिले में लगातार शिकायतें की जा रही हैं – कभी ग्रामीणों द्वारा, तो कभी पत्रकारों द्वारा। लेकिन हर बार कार्रवाई महज औपचारिकता तक सीमित रहती है। कार्रवाई के कुछ घंटे बाद ही घाटों पर दोबारा मशीनें गरजने लगती हैं और रेत का कारोबार चालू हो जाता है।
जिले के लफिनखुर्द, लमिसरा, बरबसपुर, बड़गांव, मुड़ियाडीह और बल्दीडीह जैसे घाटों को वैध अनुमति मिली है, लेकिन इन घाटों पर खनिज विभाग के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
क्या कहते हैं रेत खनन के नियम?
सरकारी निर्देशों के अनुसार:
– मजदूरों से ही रेत निकासी की जानी चाहिए
– सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही खनन की अनुमति
– मशीनों, जेसीबी और भारी वाहनों का प्रयोग वर्जित
लेकिन इन नियमों का पालन कहीं नहीं हो रहा। चेन माउंटेन, जेसीबी और भारी डंपर 24×7 रेत निकालने में लगे हैं। यह सब कुछ प्रशासन की नजरों से कैसे बचा हुआ है – यह खुद एक बड़ा सवाल है।
पर्यावरणीय खतरा: विशेषज्ञों की चेतावनी
पर्यावरण वैज्ञानिकों के अनुसार, नदी का एक अपना पारिस्थितिकी तंत्र होता है। उसमें रहने वाले जीव-जंतु, पौधे और सूक्ष्म जीवों का संतुलन नदी की मिट्टी, पानी, और बहाव से जुड़ा होता है।
– भारी मशीनों के प्रयोग से नदी की गहराई और प्रवाह प्रभावित हो रहा है
– जलस्तर तेजी से गिर रहा है – आसपास के गांवों में कुएं-सोते सूख रहे हैं
– जलीय जीवों की प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर हैं
– नदी संकरी होती जा रही है, जो भविष्य में बाढ़ या सूखे जैसे संकट ला सकती है
प्रशासन पर उठते सवाल
खनिज विभाग, कलेक्टर कार्यालय और यहां तक कि प्रभारी मंत्री को भी बार-बार अवगत कराया जा चुका है, फिर भी कार्यवाही सिर्फ “दिखावा” बनकर रह गई है। रेत माफिया दिनदहाड़े नियमों की अनदेखी कर करोड़ों का अवैध कारोबार कर रहे हैं।