गरियाबंद के दो बच्चों का कमाल – इडली-डोसा स्टार्टअप की धूम!
“17 और 15 साल के भाई-बहन ने शुरू किया ‘ओरिजनल साउथ इंडिया का ओरिजनल टेस्ट’, पहले दिन 350 रुपये का मुनाफा!”
गरियाबंद, 28 अप्रैल 2025: गर्मी की छुट्टियों में जब ज्यादातर बच्चे वीडियो गेम या छुट्टियां मनाने में व्यस्त होते हैं, तब छत्तीसगढ़ के गरियाबंद शहर के दो नन्हे सितारों ने कुछ ऐसा कर दिखाया, जिसकी चर्चा पूरे शहर में है। वाकपल्ली योगनी (17 वर्ष) और उनके छोटे भाई वाकपल्ली महेश (15 वर्ष) ने अपने परिवार की मदद के लिए एक अनोखा स्टार्टअप शुरू किया – “ओरिजनल साउथ इंडिया का ओरिजनल टेस्ट” नाम से इडली-डोसा की रेहड़ी। पहले ही दिन इन्होंने 1500 रुपये की बिक्री की और 350 रुपये का मुनाफा कमाया। आज, उनके बिजनेस का चौथा दिन है, और उनकी रेहड़ी पर ग्राहकों की भीड़ बढ़ती जा रही है।
कैसे शुरू हुई ये स्वादिष्ट यात्रा?
योगनी और महेश का परिवार मूल रूप से साउथ इंडिया से है, लेकिन पिछले 40 साल से गरियाबंद में बसा है। उनके पिता एक वाहन चालक हैं, और मां गृहणी हैं। मां के हाथों में साउथ इंडियन व्यंजनों का जादू है, खासकर उनकी इडली, डोसा और चटनी का स्वाद लाजवाब है। गर्मी की छुट्टियों में योगनी और महेश ने सोचा, “क्यों न मां के इस टैलेंट को दुनिया तक पहुंचाया जाए और परिवार की आर्थिक मदद की जाए?” बस, यहीं से शुरू हुआ उनका स्टार्टअप का सपना।
पिता को शुरुआत में चिंता थी। उन्होंने कहा, “बेटा, धंधा शुरू करने के लिए पैसे कहां से आएंगे?” लेकिन मां ने बच्चों का हौसला बढ़ाया और कहा, “अगर बच्चे कुछ करना चाहते हैं, तो हमें उनका साथ देना चाहिए।” मां ने सुबह 3 बजे से इडली-डोसा का सामान तैयार करना शुरू किया। एक छोटा सा ठेला, कुछ बर्तन, और मां-पिता का आशीर्वाद – यही थी इनकी पूंजी।
हर दिन की मेहनत, हर दिन की कामयाबी
हर सुबह योगनी और महेश अपनी रेहड़ी को 1 किलोमीटर धक्का देकर शारदा चौक से पुराने एसपी ऑफिस और आत्मानंद स्कूल के पास ले जाते हैं। सिर्फ 3 घंटे में उनका सारा सामान बिक जाता है। योगनी बताती हैं, “हम तीन भाई-बहन हैं। पापा बहुत मेहनत करते हैं, और हम चाहते हैं कि हम भी परिवार की मदद करें और अच्छी पढ़ाई करें।” महेश कहता है, “लोगों को मम्मी की चटनी और इडली-डोसा बहुत पसंद आ रहा है। हमें बहुत अच्छा लग रहा है।”
क्या है इनके स्टार्टअप की खासियत?
• मां का जादुई स्वाद: मां के पारंपरिक साउथ इंडियन नुस्खे से बनी इडली, डोसा और चटनी।
• मेहनत और जुनून: रोज सुबह जल्दी उठकर तैयारी और ठेले को धक्का देकर ले जाना।
• लक्ष्य: परिवार की मदद और उच्च शिक्षा के लिए फंड जुटाना।
शहर में चर्चा, ग्राहकों का प्यार
चार दिनों में ही योगनी और महेश की रेहड़ी शहर में मशहूर हो गई है। स्थानीय निवासी लोकेश सिन्हा लोकु कहते हैं, “इन बच्चों की मेहनत और स्वाद दोनों काबिले-तारीफ हैं। इतनी कम उम्र में इतना बड़ा काम – गर्व की बात है!” एक अन्य ग्राहक गुरुनूर कुकरेजा ने कहा, “इडली का स्वाद ऐसा है कि रोज आने का मन करता है।” ऐसा टेस्ट गरियाबंद
में मिलना आश्चर्य है रायपुर में अक्सर साउथ इंडियन टेस्ट मिलता है पर यहाँ मिलना काफ़ी अच्छा रहा है लोग यहाँ आए और बच्चो का हौसला बढ़ाये और ओरिजनल टेस्ट का अनुभव ले
बच्चों के लिए प्रेरणा
योगनी और महेश की कहानी आज की जनरेशन G की सोच को दर्शाती है। यह सिखाती है कि छोटी उम्र में भी मेहनत, लगन और परिवार के सपोर्ट से बड़े सपने पूरे किए जा सकते हैं। उनकी कहानी हमें यह भी बताती है कि “लोग क्या कहेंगे” की चिंता छोड़कर अपने लक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए।
आगे की राह
योगनी और महेश का सपना है कि वे अपने स्टार्टअप को और बड़ा करें और भविष्य में पढ़ाई के लिए अच्छे संस्थानों में दाखिला लें। उनके इस जुनून को देखकर लगता है कि ये नन्हे उद्यमी भविष्य में और भी बड़े मुकाम हासिल करेंगे।