” मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के राजनीतिक आकाश में उन्होंने एक बड़ी जगह बनाई है, पद में रहे या ना रहे उनके आभा मंडल के सामने दूर दूर तक कोई नहीं। इसके पीछे उनकी मनुष्यता, संवेदनशीलता, हर छोटे-बड़े का ख्याल रखने वाली सहजता सरलता और सबके प्रति अपनापन का भाव है। वे हमेशा कहते है राजनीतिक में विपक्षी हो सकता है पर कोई दुश्मन नहीं ,।
छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े शहर और आज उसकी राजधानी उस रायपुर से जहां शुक्ल बधुओं का अकाट्य दबदबा रहा हो, जहां अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह समर्थकों का दबदबा रहा हो, जो कांग्रेस का गढ़ रहा हो उस रायपुर से लगातार 8 बार विधानसभा एवं 1 बार लोकसभा के लिए चुना जाना कोई साधारण बात नहीं है। 1990 से आज तक वे रायपुर सहित छत्तीसगढ़ का चेहरा बने हुए हैं और अपराजित योद्धा है, इस बीच महानदी व खारुन में बहुत पानी बहा, पर बृजमोहन अग्रवाल अविचल और अडिग है।
छत्तीसगढ़ के इस लोकप्रिय नायक से, मेरी मुलाकात 1987 – में श्री सुभाष तिवारी जी के माध्यम से तब हुई जब में स्कूल में छात्र राजनीति करता था , और बृजमोहन जी भाजयुमो के प्रदेश मंत्री थे आज भी वह साथ चल रहा है। संयुक्त म.प्र. में रायपुर का अपना एक खास राजनीतिक प्रभाव था। पंडित विद्याचरण शुक्ल, पंडित श्यामाचरण शुक्ल एवं उनके समर्थकों का ऐसा दबदबा था, छत्तीसगढ़ कांग्रेस का ऐसा गढ़ था कि इनके विरोध करने का मांद्दा अच्छे अच्छों में नहीं था ऐसे समय में कांग्रेस के खिलाफ सड़क पर संघर्ष का बीड़ा बृजमोहन जी ने उठाया था । खूब लाठियां खाई, जेल गए, जन सरोकारों को लेकर काल कोठरी तक में रहे पर कभी पीछे नहीं हटें और न ही कभी अपने पथ से डिगे ।
रायपुर के दमदार व संघर्षशील छात्र नेता होने व दोस्तो व समर्थकों की एक बड़ी टीम व कार्य के प्रति जीवटता के कारण वे छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बड़ी अहमियत रखते हैं। छत्तीसगढ़ के सुकमा-कोंटा से लेकर बलरामपुर-सूरजपुर तक ऐसा कोई कस्बा नहीं जहाँ बृजमोहन अग्रवाल को जानने वाले, मानने वाले, चाहने वाले न हों । बृजमोहन जी में जीवंतता, रिश्तों को सींचना और लोगों को समय देना, उनके डी.एन.ए. में हैं। वे बहुत सहजता से हम जैसे विद्यार्थियों, पत्रकारों, समाज जीवन के हर क्षेत्र के लोगों को अपनी तरफ खींच लेते हैं। उनका गुरुत्वाकर्षण ऐसा है कि आप उनसे एक बार मिलकर अलग नहीं हो सकते। एक बार आप उनसे मिले, तो अगली बार फिर वे आपको खुद नाम से याद करते हैं।
उनके पूरे व्यक्तित्व में एक ताजगी है, तरो ताजापन है, जीवंतता है। छात्र राजनीति से आकार उन्होंने जिस तरह मुख्य धारा की राजनीति में जगह बनाई वह एक इतिहास है। अपने दल में उन्हें चाहने वालों की एक बड़ी संख्या है, तो विरोधी दलों में भी उनका बहुत सम्मान है। वे मित्रता और रिश्तों को सबसे ऊपर रखते हैं , राजनीति से भी कोसों ऊपर , मदद के लिए आतुर ऐसी शख्सियत उन्होंने अपने आप को अपनी मेहनत से बनाई है। बृजमोहन जी के महापरिवार में एक बार आपका प्रवेश हो गया तो वहां निकास का द्वार है ही नहीं। वे किसी न किसी प्रसंग के माध्यम से आप को आपको याद करते ही है। उनकी याददाश्त गजब की है। आप कहां है, उन्हें पता होता है। ऐसे न जाने कितने लोग होंगे, जिन्हें यह लगता है कि बृजमोहन जी उन्हें बहुत चाहते हैं। परंतु सच तो बृजमोहन जी ही बता सकते है।
बृजमोहन जी का पूरा राजनीतिक जीवन संघर्ष का रहा है हमेशा पराक्रम पर विस्वास करते और परिक्रमा से दूर रहे , गलत को वे देख नहीं सकते है और सच को लेकर कभी भी किसी से भी टकरा गए चाहे फिर उन्हें कितना नुकसान उठाना क्यों ना पड़ा ।
मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह , श्यामाचरण, दिग्विजय सिंह, अजीत जोगी ,भूपेश बघेल सरकार पर सदन से लेकर सड़क तक तीखे हमले करते उन्होंने लम्बी लड़ाई लड़ी और भाजपा का पक्ष रखते। मामला चाहे देवभोग हीरा खदान से विदेशी कंपनी डी बियर्स को भगाने का हो, जब तक अंजाम तक ना पहुंचाया हो शांत नहीं बैठते। किंतु उनका कद जो उन्होंने खुद बनाया वह सरकार से भी ज्यादा है और यही कुछ लोगों को हमेशा चुभता रहा है। अपने परंपरागत प्रतिद्वंदियों के अलावा भी वे कुछ खास लोगो से जो उनकी बराबरी नहीं कर पाए उनसे एक खास तरह की उपेक्षा के शिकार रहे है। शायद उनकी लोकप्रियता और सतत सक्रियता उन सब पर हमेशा भारी पड़ती है। बृजमोहन जी चाहकर भी अपने इस स्वभाव से मुक्त नहीं हो सकते। अलग-अलग तरीकों से उन्हें कट साइज करने की कोशिशें होती रहती हैं। वे उस चक्रव्यूह से भी हमेशा निकल आते हैं। बिना शिकायत, बिना किसी से शिकवा किए।
मेरी मान्यता है कि बृजमोहन को किसी ने बनाया नहीं है, वे खुद से बने इंसान है। वे किसी भी क्षेत्र में रहते, ऐसे ही आगे रहते। हर काम को वे जिस गंभीरता, लगन और जिस ऊर्जा से करते हैं, उसमें विफलता की गुंजाइश कहां रह जाती है। लोग उन्हें बहुत चतुर सुजान मानते हैं, जबकि मेरी सोच है कि वे बेहद भोले और भले आदमी है। अपनों पर भरोसा और कड़ी मेहनत ने उन्हें बनाया है। वे जिस तरह अपने साथ जुड़े लोगों का ख्याल रखते है , राजनीतिक व्यस्तताओं के बीच अपने से जुड़े लाखों लोगों के महापरिवार के लिए समय निकालते हैं, वह साधारण नहीं हैं। कोई ऐसा नहीं, जिसके मन में उनके लिए कोई गिला हो। वे मौका नहीं देते, मौके निर्मित करते हैं बेहतर करने के लिए, लोगों की मदद करने के लिए राजनीतिक सफलताएं उन्हें मिली हैं।
विकास को लेकर उनके मन में एक अलग ललक रही है जब मौक़ा मिला, जहाँ मौका मिला, जैसा मौका मिला बेहतर से बेहतर करने की कोशिश की। रायपुर सहित छत्तीसगढ़ के विकास में उनकी भूमिका अतुलनीय रही है। उन्होंने जो किया हटके किया – अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, लक्ष्मण झूला, राजिम कुम्भ, पुरखौती मुक्तांगन, कुतुबमीनार से भी उंचा सतनामी समाज के पवित्र जैतखंभ की स्थापना, स्कूली छात्राओं के लिए सरस्वती सायकल योजना, केनाल लिंकिंग रोड सहित सैकड़ों योजनाएं काम उन्होंने कर दिखाया । उन्हें जो भी विभाग मिला वहां उन्होंने ऐसा किया की अब लोग आने वालों को उनकी दुहाई देते हैं और उनके सामने प्रश्न खड़ा करते हैं की ऐसा करके तो दिखाओं। प्रदेश के करोड़ों जनता के मन में उनके प्रति एक अलग ही स्थान है जो विरले राजनेताओं को मिलता है । लिखना तो बहुत कुछ चाहता हूं पर कभी और आज इतना ही।
आज उनके जन्म दिवस पर बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं भगवान उन्हें सुदीर्घ, यशस्वी एवं निरोगी जीवन प्रदान करें।
( मनोज शुक्ला )