High Court News : केरल हाईकोर्ट ने महिलाओं के संपत्ति अधिकारों को मज़बूत करते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विवाह के दौरान उपहार में मिले गहने और नकद ‘स्त्रीधन’ यानी महिला की निजी संपत्ति हैं, और तलाक के बाद इन्हें लौटाना अनिवार्य है।
मामले का विवरण न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन और न्यायमूर्ति एम.बी. स्नेहलता की खंडपीठ ने यह फैसला एर्नाकुलम जिले के कालामस्सेरी की एक महिला की याचिका पर सुनाया। महिला ने फैमिली कोर्ट के उस निर्णय को चुनौती दी थी, जिसमें तलाक के बाद उसके गहने और उपहार वापस करने की मांग को खारिज कर दिया गया था।
महिला ने बताया कि 2010 में उसकी शादी के दौरान परिवार ने उसे 63 स्वर्ण मुद्राएं और दो स्वर्ण मुद्राओं की एक चेन दी थी, जबकि रिश्तेदारों ने 6 स्वर्ण मुद्राएं उपहार में दी थीं। उसने आरोप लगाया कि मांगलसूत्र, एक कड़ा और दो अंगूठियों को छोड़कर बाकी सभी गहने उसके ससुराल वालों ने ‘सुरक्षा’ के नाम पर अपने पास रख लिए। बाद में पति द्वारा ₹5 लाख की अतिरिक्त मांग के कारण रिश्ते बिगड़ गए।
कोर्ट का निर्णय हाईकोर्ट ने कहा कि शादी में मिला स्त्रीधन महिला का वैध अधिकार है, और इसे वापस करना अनिवार्य है, भले ही इसका कोई कानूनी दस्तावेज न हो। कोर्ट ने इस बात पर चिंता जताई कि अक्सर गहनों और उपहारों का ससुराल पक्ष द्वारा दुरुपयोग किया जाता है। ऐसे मामलों में लेन-देन निजी और गैर-प्रलेखित होने के कारण महिलाओं को अपने अधिकार साबित करने में कठिनाई होती है।
कोर्ट ने ‘संभावनाओं के तराजू’ (preponderance of probabilities) सिद्धांत को अपनाते हुए कहा कि ऐसे मामलों में न्याय के लिए लचीला दृष्टिकोण ज़रूरी है। यह फैसला महिलाओं के संपत्ति अधिकारों की रक्षा के लिए एक मज़बूत कदम है।
प्रभाव और महत्व
यह फैसला न केवल महिलाओं के स्त्रीधन पर अधिकार को मज़बूत करता है, बल्कि भविष्य में ऐसे मामलों में मिसाल के तौर पर भी काम करेगा। यह उन महिलाओं के लिए राहत की बात है जो तलाक के बाद अपनी संपत्ति वापस पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं।