धमतरी। CG NEWS : देश की बहुचर्चित भारतमाला परियोजना* एक बार फिर विवादों के घेरे में है। जहां एक ओर छत्तीसगढ़ के रायपुर-विशाखापट्टनम आर्थिक गलियारे में भूमि अधिग्रहण के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी उजागर हुई है, वहीं दूसरी ओर धमतरी जिले में अवैध रेत खनन के विरोध पर पंच पर जानलेवा हमला हुआ है।
पंच पर रेत माफिया का जानलेवा हमला
धमतरी जिले के ग्राम बेलरगांव स्थित भुरसी डूंगरी में शनिवार को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। पंच गजेंद्र कुमार नेताम को सूचना मिली कि सीता नदी से अवैध रूप से रेत की ढुलाई की जा रही है। जब वे मौके पर पहुंचे और विरोध किया, तो माफियाओं ने उन पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश की। गजेंद्र ने वक्त रहते बाइक से छलांग लगाकर अपनी जान बचाई, लेकिन उनकी बाइक पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई।
गजेंद्र ने आरोप लगाया कि खनिज विभाग की लापरवाही और मिलीभगत के कारण ही रेत माफिया बेखौफ होकर अवैध खनन कर रहे हैं। “अब माफिया जनप्रतिनिधियों पर भी हमला करने लगे हैं,” उन्होंने गुस्से में कहा।
भारतमाला में 350 करोड़ रुपये का घोटाला
भारतमाला परियोजना के रायपुर-विशाखापट्टनम कॉरिडोर में भूमि अधिग्रहण के दौरान हुए 350 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले ने प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मचा दिया है। सीबीआई ने इस मामले में छापेमारी करते हुए कई बड़े अधिकारियों, पटवारियों और भूस्वामियों के घरों से दस्तावेज, नकदी और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए हैं।
रायपुर जिले के अभनपुर उपखंड में सामने आए मामलों में अकेले 43.18 करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई है। फर्जी दस्तावेज, नकली वारिस, और जमीन के रेट में मनमानी बढ़ोतरी के ज़रिये सरकारी खजाने को चूना लगाया गया। एक चौंकाने वाले मामले में एक महिला ने मठ की ज़मीन पर फर्जी वारिस बनकर लाखों रुपये का मुआवजा हड़प लिया।
सीबीआई की कार्रवाई और सरकार का जवाब
सूत्रों के अनुसार सीबीआई की छापेमारी में कुछ अधिकारियों के घर से इतनी बड़ी मात्रा में नकदी मिली कि गिनने के लिए मशीन मंगवानी पड़ी। इस कार्रवाई ने भ्रष्टाचारियों में खलबली मचा दी है।
राज्य सरकार ने अब तक एक उप-कलेक्टर, एक अतिरिक्त कलेक्टर और कई पटवारियों को निलंबित किया है। ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) ने दशमेश बिल्डर्स के दफ्तर पर छापा मारा है। हालांकि, विपक्ष ने इन कार्रवाइयों को “खानापूर्ति” बताते हुए सीबीआई जांच की मांग दोहराई है। विपक्ष के नेता महंत ने कहा, “बिना सीबीआई जांच के यह घोटाला नहीं खुलेगा। इसमें बड़े मगरमच्छ शामिल हैं, जिन्हें बचाया जा रहा है।”
जनता की उम्मीदें और सवाल
अब सवाल यह है कि क्या सीबीआई की जांच इस सुनियोजित लूट के सभी पर्दे हटा पाएगी? या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह फाइलों में दफन होकर रह जाएगा?धमतरी की घटना और रायपुर में हुआ अरबों का घोटाला यह दिखाता है कि विकास परियोजनाएं भ्रष्टाचार और माफिया तंत्र की चपेट में आ रही हैं। जनता अब जवाब चाहती है – क्या सच में न्याय होगा?