मोहम्मद उस्मान, तिल्दा-नेवरा। Unique wedding in CG : देसहा गड़रिया पाल समाज के मुकेश पाल ने बिना दहेज लिए शादी कर मिसाल पेश की है। जिसकी सभी तारीफ़ कर रहे हैं। बिना दहेज के दूल्हा-दुल्हन ने सामाजिक रीतिरिवाज अनुसार फेरे ली। ऐसा कर दोनों पक्षों ने समाज को यह संदेश दिया कि ये एक सामाजिक बुराई है और इसका अंत जरूरी है।
बता दें कि, रायपुर के डीडीयू नगर में रहने वाले मुकेश पाल ने बीते दिनों शादी की। उन्होंने बिना दहेज लिए विवाह की है। शगुन के तौर पर एक सामान तक नहीं लिया। वर पक्ष ने बिना दहेज के शादी कर अनूठी मिसाल पेश की है। बिना दहेज की हुई इस शादी की हर ओर चर्चा हो रही है। मुकेश का कहना है कि, दहेज प्रथा समाज में कलंक है। इसकी जद में आकर कई परिवार उजड़ गए। युवाओं की सोच इस प्रथा का अंत कर सकता है जैसे मैने किया। वहीं इस शादी ने लोगों का दिल जीत लिया और खूब चर्चा भी हो रही।
माना के समीप ग्राम बरौदा के निवासी मुकेश पाल ने अभनपुर के पास टोकरो गांव की सोनिका पाल से शादी की है। वर्तमान में रायपुर के डीडीयू नगर में रहने वाले मुकेश ने तामझाम के फिजूल खर्च की बर्बादी को रोकने के उद्देश्य से बिना दहेज के शादी करने का फैसला लिया था। जिस पर दोनों पक्षों के परिजनों ने सहमति जताई थी। सादगी के साथ दहेज रहित शादी कर इस नवदंपती ने लोगों को संदेश भी दे दिया कि दहेज एक दानव की तरह है जिसे मारना अत्यंत आवश्यक है।
मुकेश के इस निर्णय का स्वागत करते हुए देसहा गड़रिया पाल समाज के अध्यक्ष यशंवत राव पाल, उपाध्यक्ष डां. दानीराम पाल, साहिल पाल, कोषाध्यक्ष हेमंत पाल, उपकोषाध्यक्ष मिलन पाल, सचिव राजू पाल, सहसचिव तेजराम पाल, महामंत्री शंकर लाल पाल, महिला प्रकोष्ठ से मनटोरा पाल, त्रिलोकी पाल संरक्षक, इंदु पाल अध्यक्ष, रूपा पाल उपाध्यक्ष, भारती पाल सचिव, करूणा पाल सहसचिव, माधुरी पाल कोषाध्यक्ष, युवा प्रकोष्ठ से रेमन पाल, अरविंद पाल आदि ने प्रशंसा की और नवदंपती के उज्जवल भविष्य की कामना की।
दहेज को केवल लड़कें ही रोक सकते हैं
एमटेक पास मुकेश का कहना है कि, दहेज के रूप में लेने वाले गिफ्ट या पैसे को केवल लड़के ही रोक सकते हैं। जैसा कि मैनें रोका है। वो भी बिना किसी नियम बनाए ही। उनका मानना है कि, लड़की को पढ़ाओ, लिखाओ और आगे बढ़ाओ। जब वे हमारे परिवार में आएगी तो अपनी शिक्षा से जीवनशैली को सुधारेगी। मायके और ससुराल दोनों को आगे बढ़ाएगी। अपनी माता-पिता की सेवा भी करेगी। दहेज को जैसे मैने छोड़ा है वैसे ही आने वाले युवा पीढ़ी को भी छोड़ना होगा और आगे आकर दहेज की इस प्रथा को ही बंद करने का प्रयास करना होगा। किसी भी बुराई को रोकने के लिए खुद पहले प्रयास करना चाहिए और मैने अपने आप में लागू किया। कोई लड़का है जिन्होंने दहेज को रोका है ऐसा आप भी कर सकते हैं। मुकेश ने बताया कि, उन्होंने पचहर को भी लेने से मना कर दिया। उनका कहना है कि, युवाओं को बगैर दहेज शादी करने के लिए आगे आना चाहिए। इससे इस कुप्रथा का अंत संभव है। वहीं इस अनूठी शादी में परिजनों ने भी नवदंपती को सुखी जीवन व्यतीत करने का आशीर्वाद दिया। दहेज रहित यह विवाह आसपास के लोगों में चर्चा का विषय बना रहा। लोग दोनों को शुभकामनाएं देते हुए उनके निर्णय की दिल से तारीफ करते रहे।
लड़की की पढ़ाई-लिखाई पर दें ध्यान
मुकेश का कहना है कि, लड़की की एजुकेशन को बढ़ाने के लिए शादी के खर्च को कम करना होगा। लड़की की शादी और दहेज में जो खर्च करते हैं उसे उनकी शिक्षा के लिए खर्च करना चाहिए। अगर लड़की की शिक्षा अच्छी रहेगी तो मानसिक और आर्थिक स्थिति भी उच्च होगी। लड़की पढ़ लेगी तो वह दोंनो पक्षों का ध्यान रखेगी। मायके और ससुराल दोनों की मदद करेगी। शिक्षा अच्छी मिली तो पढ़कर नौकरी भी कर सकती है इससे वह अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र रहेगी। आने वाले पीढ़ी को संदेश देते हुए नवदंपती ने कहा कि, दहेज मत दो और न ही लो। बंद करो इस प्रथा को। इस पैसे को शिक्षा पर लगाओ। अगर लड़की को पढ़ाओगे तो नौकरी करते हुए वे दहेज के रूप में सामान खुद खरीद सकती है। मुकेश ने शादी के पहले लड़की पक्ष के महिलाओं का मीटिंग लिया था। उन लोगों का कहना था कि, दहेज नहीं देंगे तो बाद में लड़के पक्ष वाले तंग करेंगे जिस पर मुकेश ने समझाया था कि समाज में सुधार और जागरूकता लाने अकेले प्रयास कर रहा हूँ तो कुछ तो सहयोग आप लोगों का भी रहना चाहिए। यहां लोग दहेज नहीं बल्कि वर-वधू को आशीर्वाद देकर जाए। ऐसा समझाकर मुकेश ने अपना उद्देश्य जाहिर किया था। जिस पर सभी ने सहमति जताई और शादी के लिए तैयार हुए। नेंग के सामानों को भी मुकेश ने नहीं लिया। उनका मानना है कि, दहेज से पिता पर अनावश्यक बोझ बढ़ जाता है इसलिए दहेज नहीं लेना चाहा।