बिलासपुर। CG NEWS : जिले में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट की अनिवार्यता अब नियम नहीं, बल्कि जनता के लिए एक नई परेशानी बन गई है। एक तरफ नामांतरण की प्रक्रिया हफ्तों खींच रही है, तो दूसरी ओर आरटीओ दफ्तर के बाहर अवैध दुकानों का जाल फैला हुआ है, जहां खुलेआम मनमानी वसूली हो रही है। ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ की जिम्मेदारियों की धुंध में पिसती नजर आ रही है आम जनता।
हाई सिक्योरिटी प्लेट के लिए वाहन मालिकों को पहले 15 दिन इंतजार करना पड़ता है, फिर नाम ट्रांसफर के लिए 15 से 20 दिन और। इस देरी का असर सिर्फ कागजों तक नहीं है, फाइनेंस, इंश्योरेंस और कानूनी जिम्मेदारियों में भी रुकावटें आ रही हैं। कई लोगों को तो गाड़ी खरीदने के बाद महीनों तक RC तक नहीं मिल पा रही है, जिससे उन्हें बार-बार दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
ट्रैफिक विभाग दावा करता है कि शहर में कैंप लगाकर प्रक्रिया आसान की जा रही है, लेकिन उसी विभाग के ऑफिस के बाहर अवैध दुकानें चालान भरवाने से लेकर फॉर्म भरने तक के नाम पर जनता से तीन गुना तक रकम वसूल रही हैं। ट्रैफिक एएसपी का कहना है कि ये जिम्मेदारी RTO की है। लेकिन सवाल ये है कि जब अवैध दुकानें सबके सामने चल रही हैं, तो निगरानी करने वाले अफसर आंखें क्यों मूंदे बैठे हैं?