बिलासपुर। CG NEWS : जिले के जिला शिक्षा अधिकारी अनिल तिवारी की कार्यप्रणाली को देखकर यह सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है कि एक वर्ग विशेष को लेकर उनके मन में कितना प्रेम है और अन्य वर्गों को लेकर कितना आक्रोश। यही वजह है कि बड़े-बड़े मामलों में जहां शिकायत आने और मामले की पूरी जानकारी होने के बावजूद बड़ी मछलियों को बचाया जा रहा है वही अन्य कर्मचारियों को छोटी-छोटी शिकायतें आने पर सिविल सेवा अधिनियम और अपने ज्ञान का प्रयोग कर निपटाया जा रहा है । ऐसा लगता है मानो जांच की रफ्तार और कार्रवाई की तलवार इस बात को देखकर तय होती है कि मामला किस का है और आरोपी किस वर्ग के है । जब मामला एकादशी पोरते , विजय टंडन , गीता राही, रश्मि विश्वकर्मा का होता है तो तत्काल कार्रवाई होती है , साधेलाल पटेल , का नाम आते ही तत्काल जांच टीम का गठन कर दिया जाता है और ऐसा लगता है मानो शिकायत पत्र आने का ही इंतजार किया जा रहा था और 24 घंटे के अंदर ही जांच टीम गठन का आदेश वायरल हो जाता है। वही जब सिविल सेवा अधिनियम की धज्जियां उड़ाकर विदेश यात्रा करने वाली निशा तिवारी प्राचार्य का मामला हो या फिर फर्जी नियुक्ति मामले में विभागीय जांच में जेडी कार्यालय बिलासपुर द्वारा दोषी साबित हो चुकी चंद्ररेखा शर्मा का मामला तो न्यायप्रिय जिला शिक्षा अधिकारी की कलम की स्याही सुख जाती है और इन्हें बचने का पर्याप्त समय दिया जाता है। कार्यालय से जो जांच टीम बनती है उसमें भी एक विशेष वर्ग सदस्य का होना अत्यंत अनिवार्य है जो यह दिखाता है कि एक वर्ग विशेष के लिए कितना प्रेम है।