डेस्क। Corona Virus : कोरोना वायरस (Corona Virus) का प्रकोप एक बार फिर शुरू हो गया है। इस बार सिंगापुर में कोविड के मामलों में उछाल आया है। यहां कोविड का LF.7 और NB.1.8 नाम के वेरिएंट के मामले बढ़ रहे हैं। ये दोनों वेरिएंट मिलकर यहां लगभग दो-तिहाई मामलों के लिए जिम्मेदार हैं। सिंगापुर सहित एशिया के कई देशों में कोरोना वायरस फिर से लौट आया है और सैकड़ों लोगों को चपेट में ले लिया है। भारत में कोरोना के 200 से ज्यादा मामले बताए जा रहा हैं।
एशिया में कोरोना का प्रकोप बढ़ते देख भारत में भी खलबली मची हुई है। इस पर भारत के प्रमुख महामारी विशेषज्ञ ने कहा है कि घबराने की जरूरत नहीं है, जब तक कि अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों या मौतों की संख्या में बढ़ोतरी न हो।
एक इंटरव्यू में विशेषज्ञ ने बताया कि ये दोनों वेरिएंट ओमिक्रॉन वेरिएंट के ही सब वेरिएंट हैं और ये JN.1 वेरिएंट से जुड़े हुए हैं, जो खुद Omicron BA.2.86 का हिस्सा है। WHO ने पहले कहा था कि JN.1 और इसके जैसे वेरिएंट्स में इम्यून सिस्टम से बचने की क्षमता होती है, लेकिन अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं है कि ये पुराने ओमिक्रॉन वेरिएंट्स की तुलना में ज्यादा गंभीर बीमारी करते हैं।
नया वायरस कितना खतरनाक, क्या डरने की जरूरत है?
इस वैरिएंट में लक्षण ‘हल्के से मध्यम’ होते हैं। JN.1 वैरिएंट से जुड़े कुछ लक्षण इस प्रकार हैं- गले में खराश, बुखार, नाक बहना, सूखी खांसी, थकान, सिरदर्द और स्वाद या गंध का न आना।
कोविड वायरस क्यों बार-बार रूप बदलता है?
डॉ. गंगा खेड़कर ने बताया कि दुनिया में अब ‘convergent evolution’ हो रही है, यानी वायरस अपने आपको बदल रहा है ताकि वह दवाओं और वैक्सीन के असर से बच सके। वायरस अपने आप को ऐसे ढाल लेता है कि वह लोगों को मारे बिना भी तेजी से फैले और जिंदा रहे। यही इसका तरीका है – तेजी से फैलो, कॉपी बनाओ और अगले इंसान में पहुंच जाओ।
नए वेरिएंट से किसे ज्यादा खतरा और बचाव
उन्होंने कहा, ‘अगर केस अचानक बढ़ते हैं, तो इस वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। लेकिन फिलहाल कोई चिंता की बात नहीं है। हमें मान लेना चाहिए कि कोविड अब एक सामान्य बीमारी (एंडेमिक) बन चुका है। बुजुर्गों और कमजोर इम्यून सिस्टम वालों को सिर्फ सावधानी बरतनी चाहिए, जैसे हाथ धोना, मास्क पहनना और भीड़ से बचना।’
क्या बूस्टर डोज़ की जरूरत है?
डॉ. गंगा खेड़कर ने कहा कि जब तक वायरस से कोई बड़ा खतरा नहीं दिखता, तब तक बूस्टर डोज़ की कोई जरूरत नहीं है, बुजुर्गों के लिए भी नहीं। उन्होंने कहा कि अभी तक हमारे पास ऐसा कोई ठोस वैज्ञानिक डेटा नहीं है जो बूस्टर डोज की जरूरत साबित करता हो। इसके अलावा अभी जीनोम सीक्वेंसिंग की भी जरूरत नहीं है। यह महंगी होती है और तभी करनी चाहिए जब अस्पताल में भर्ती या मौतों की संख्या बढ़ने लगे।
भारत में कोरोना की क्या स्थिति है?
ऐसा माना जा रहा है कि 19 मई तक भारत में सिर्फ 257 एक्टिव केस हैं और सभी हल्के लक्षण वाले हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं है। डॉ. गंगा खेड़कर ने बताया कि भारत में एक वैक्सीन मौजूद है जो ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ बनी है। इसे पुणे की कंपनी गेंनोया बिओफर्मकेउतिकल्स जीनोवा बायोफार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड ने बनाया है और इसका नाम है GEMCOVAC-19। यह भारत की पहली mRNA वैक्सीन है।