राजीव गांधी की 33वीं पुण्यतिथि: एक प्रेरणादायी जीवन और उनकी विरासत
डेस्क। GRAND NEWS : आज, 21 मई 2024 को भारत अपने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 33वीं पुण्यतिथि मना रहा है। राजीव गांधी, जिन्हें आधुनिक भारत के शिल्पकार के रूप में जाना जाता है, ने अपने संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली कार्यकाल में देश को तकनीकी और सामाजिक प्रगति की राह पर अग्रसर किया। उनकी 33वीं पुण्यतिथि पर, आइए उनके जीवन, कार्यों, और उनकी असामयिक मृत्यु पर एक नजर डालें।
जीवन और प्रारंभिक वर्ष
राजीव रत्न गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को मुंबई में हुआ था। वे भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बड़े पुत्र थे, साथ ही भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाती। उनका बचपन नई दिल्ली के तीन मूर्ति भवन में बीता, जहां उनकी मां इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री की परिचारिका के रूप में कार्य किया।
राजीव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के वेल्हम स्कूल और दून स्कूल में पूरी की। इसके बाद, उन्होंने लंदन के इंपीरियल कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन उनकी रुचि उड़ान में थी। 1966 में भारत लौटकर, उन्होंने दिल्ली फ्लाइंग क्लब से वाणिज्यिक पायलट का लाइसेंस प्राप्त किया और इंडियन एयरलाइंस में पायलट के रूप में काम शुरू किया। इस दौरान उनकी मासिक आय मात्र 5,000 रुपये थी, और वे इस सादगी भरे जीवन से संतुष्ट थे।
राजीव को संगीत, फोटोग्राफी, और रेडियो सुनने का शौक था। वे वेस्टर्न, हिंदुस्तानी शास्त्रीय, और आधुनिक संगीत के प्रेमी थे।
विवाह और पारिवारिक जीवन
राजीव गांधी की मुलाकात कैम्ब्रिज में पढ़ाई के दौरान इटली की नागरिक एंटोनिया मैनो से हुई। दोनों ने 1968 में विवाह किया, और एंटोनिया ने अपना नाम बदलकर सोनिया गांधी रख लिया। इस दंपति के दो बच्चे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, हैं, जो आज भारतीय राजनीति में सक्रिय हैं।
राजनीति में प्रवेश और प्रधानमंत्री बनने की प्रक्रिया
राजीव गांधी को शुरू में राजनीति में कोई रुचि नहीं थी। वे अपने छोटे भाई संजय गांधी को अपनी मां इंदिरा गांधी के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखते थे। लेकिन 1980 में संजय की एक विमान दुर्घटना में मृत्यु ने परिस्थितियों को बदल दिया। इंदिरा गांधी के आग्रह और पार्टी के दबाव में, राजीव ने 1981 में उत्तर प्रदेश के अमेठी से लोकसभा उपचुनाव जीता और राजनीति में कदम रखा।
31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, राजीव को उसी दिन प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। 40 वर्ष की आयु में, वे भारत के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बने। 1984 के लोकसभा चुनाव में, उनकी अगुवाई में कांग्रेस ने 533 में से 404 सीटें जीतीं, जो भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी जीत थी।
प्रधानमंत्री के रूप में कार्य और उपलब्धियां
राजीव गांधी का कार्यकाल (1984-1989) तकनीकी और सामाजिक सुधारों के लिए जाना जाता है। उनके प्रमुख योगदानों में शामिल हैं:
•कंप्यूटर क्रांति: राजीव को भारत में कंप्यूटर क्रांति का जनक माना जाता है। उन्होंने तकनीक के उपयोग को बढ़ावा दिया, जिससे भारतीय रेलवे में टिकटों की कंप्यूटरीकृत व्यवस्था शुरू हुई।
•युवाओं को मताधिकार: 1989 में संविधान के 61वें संशोधन के माध्यम से मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की गई, जिससे लाखों युवाओं को राजनीतिक भागीदारी का अधिकार मिला।
•शांति प्रयास: मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। पंजाब में शांति के लिए ऑपरेशन ब्लैक थंडर शुरू किया गया।
•शिक्षा और ग्रामीण विकास: नवोदय विद्यालयों की स्थापना और पेयजल आपूर्ति जैसे प्रौद्योगिकी मिशनों को बढ़ावा दिया।
हालांकि, उनके कार्यकाल में कई विवाद भी रहे। शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए संसद में बहुमत का उपयोग विवादास्पद रहा।
बोफोर्स घोटाला
बोफोर्स घोटाला राजीव गांधी के कार्यकाल का सबसे बड़ा विवाद था। 1986 में, भारत ने स्वीडिश कंपनी बोफोर्स से तोपें खरीदने का सौदा किया। 1987 में आरोप लगा कि इस सौदे में 64 करोड़ रुपये की दलाली दी गई, जिसमें इटली के व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोकी, जो गांधी परिवार के करीबी थे, शामिल थे। इस घोटाले ने राजीव की “मिस्टर क्लीन” छवि को धूमिल किया और 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का प्रमुख कारण बना। 1993 में क्वात्रोकी भारत छोड़कर फरार हो गए, और बाद में कई आरोपियों की मृत्यु हो गई। सीबीआई की जांच में कोई ठोस सबूत नहीं मिला, लेकिन यह मुद्दा आज भी राजनीतिक चर्चा का विषय है।
मृत्यु: एक दुखद अंत
21 मई 1991 को, तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली के दौरान, लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) की एक आत्मघाती हमलावर धनु ने राजीव गांधी की हत्या कर दी। धनु ने राजीव को माला पहनाने के बहाने उनके पास जाकर कमर पर बंधे बम को सक्रिय किया, जिसमें राजीव समेत 16 लोगों की मृत्यु हो गई। यह हमला श्रीलंका में शांति सेना भेजने के फैसले से नाराज LTTE का बदला था।
विरासत
राजीव गांधी को 1991 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनकी पुण्यतिथि पर, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, और अन्य ने दिल्ली के वीर भूमि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोशल मीडिया पर उन्हें याद किया।
राजीव गांधी का जीवन और कार्य आज भी भारत के युवाओं और तकनीकी प्रगति के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी दूरदर्शिता ने 21वीं सदी के भारत की नींव रखी, और उनकी स्मृति देशवासियों के दिलों में जीवित है।