रायपुर। Raipur Video: रायपुर में घटित एक चौंकाने वाली चोरी की वारदात ने पुलिस और आम नागरिकों को हैरत में डाल दिया। मामला सिर्फ चोरी का नहीं, बल्कि फिल्मी अंदाज़ में रची गई एक साज़िश का था – जिसमें आरोपी कोई पेशेवर अपराधी नहीं, बल्कि एक नामी कारोबारी का बेटा निकला। उसने पूरी प्लानिंग हॉलीवुड फिल्मों से सीखी थी और 9 मिनट में 17 सील पैक iPhone उड़ा लिए।
लेकिन सवाल ये – आख़िर क्यों बना मयंक दीक्षित चोर? क्या सिर्फ पैसे की लालच थी या कुछ और?
शुरुआत: जब चोरी बनी एक ‘स्क्रिप्ट’
चौबे कॉलोनी निवासी मयंक दीक्षित के पास सबकुछ था – पैसा, पहचान और सुरक्षित भविष्य। उसके पिता भारी मशीनरी के कारोबारी हैं। लेकिन मयंक को था कुछ अलग करने का शौक – हॉलीवुड हीस्ट फिल्में देखने का।
कई महीनों से वो इंटरनेट और फिल्मों से सीख रहा था – कैसे अलार्म से बचा जाए, कैसे CCTV को चकमा दिया जाए, कैसे कम से कम समय में बड़ी चोरी की जाए।
टारगेट लॉक: रिलायंस डिजिटल स्टोर
मयंक का अगला कदम था असली जिंदगी में अपना ‘हीरो’ बनना। उसने घर से महज़ कुछ दूरी पर स्थित रिलायंस रिटेल लिमिटेड स्टोर को टारगेट किया। यहां की हर गतिविधि पर नजर रखी – कब गार्ड आते हैं, कहां CCTV लगे हैं, और कौन-सा काउंटर सबसे कीमती है।
उसे पता चला कि स्टोर के बाजू में एक शोरूम में मरम्मत चल रही है, जहां जमीन से ऊपर तक बांस का जाल बंधा था। बस, यही उसकी फिल्मी प्लानिंग का हिस्सा बन गया।
वारदात की रात: 25 मई, डेढ़ बजे
रात के 1:30 बजे, मयंक चोरी की स्कूटी में सवार होकर स्टोर पहुंचा। स्कूटी की नंबर प्लेट कपड़े से ढंकी हुई थी।
बांस के सहारे चढ़कर वह स्टोर की पहली मंजिल पर पहुंचा। हथौड़ी से शीशा तोड़ा और अंदर घुस गया।
CCTV फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि वो सीधे iPhone काउंटर तक पहुंचता है, झोले में 17 सील पैक iPhone भरता है और कुछ ही मिनटों में बाहर निकल भागता है।
गिरफ्तारी की पटकथा: जब फिल्मी हीरो बना पुलिस केस
लेकिन मयंक भूल गया था – यह हॉलीवुड नहीं, हिंदुस्तान है, जहां साज़िश कितनी भी स्मार्ट हो, सबूत पीछे छूट ही जाते हैं।
• स्कूटी की चाबी चोरी के वक्त गिर गई, जिससे पुलिस को पहला सुराग मिला।
• चोरी की स्कूटी चौबे कॉलोनी से थी, जिससे लोकेशन narrowed हुई।
• शहर में सस्ते आईफोन बेचने की चर्चा फैली, जिससे पुलिस चौकन्नी हो गई।
• एक खरीदार ने पुलिस को सूचना दी – और फिर क्राइम ब्रांच व सरस्वती नगर थाना की टीम मयंक तक पहुंच गई।
संपन्नता के बावजूद चोरी – क्यों?
पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए जब उन्होंने देखा कि आरोपी एक संपन्न परिवार का बेटा है। पूछताछ में मयंक ने बताया कि वो ‘थ्रिल’ चाहता था – चोरी करके बच निकलने की एक्साइटमेंट, फिल्मी अंदाज़ में कुछ कर दिखाने की चाह।
उसे लगा था कि बिना किसी को पता चले, वो आईफोन बेचकर तगड़ी कमाई कर लेगा और कोई उसे पकड़ भी नहीं पाएगा।
फोन से फंसा गिरोह: कुल 5 गिरफ्तार, 21 लाख का माल बरामद।
पुलिस ने मयंक के साथ-साथ उन लोगों को भी गिरफ्तार किया है, जिन्होंने उससे चोरी के iPhone खरीदे।
अब तक 21 लाख रुपए का माल बरामद हो चुका है और पुलिस जांच जारी है।
आखिर में सबक – फिल्म देखो, लेकिन अपराdhi मत बनो!
मयंक दीक्षित की कहानी उन युवाओं के लिए सबक है जो स्क्रीन और असल ज़िंदगी के फर्क को भूल जाते हैं। फिल्में रोमांच दिखाती हैं, लेकिन हकीकत में ‘हीरो’ वही होता है जो नियमों का पालन करता है, न कि चोरी की पटकथा लिखता है।