Reliance Infrastructure: अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस ने जर्मनी की शस्त्र निर्माता कंपनी राइनमेटल एजी (Rheinmetall AG) के साथ तोप के गोले और विस्फोटक आपूर्ति के लिए एक रणनीतिक साझेदारी की है. इसके तहत महाराष्ट्र के रत्नागिरी में एक नई ग्रीनफील्ड सुविधा स्थापित की जाएगी. यह सुविधा दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी सुविधाओं में से एक होगी, जो प्रति वर्ष 2,00,000 गोले और 10,000 टन विस्फोटक उत्पादन करेगी. यह साझेदारी ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ का समर्थन करने के साथ ही रिलायंस डिफेंस को देश के शीर्ष तीन रक्षा निर्यातकों में से एक बनने का लक्ष्य हासिल करने में मदद करेगी. अनिल अंबानी की कंपनी का यह तीसरा रक्षा समझौता है, इससे पहले फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन और थालेस के साथ संयुक्त उद्यम बनाने के लिए समझौते हो चुके हैं.
अनिल अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर भारत में प्राइवेट सेक्टर की पहली कंपनी बन गई है, जिसने न्यू जेनरेशन के 155 मिमी आर्टिलरी गोला-बारूद के चार प्रकार डिजाइन और डेवलप किए हैं. यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारत की डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में एक बड़ी उपलब्धि है. इस गोला-बारूद को डिफेंस रिसर्च एवं डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) की यूनिट आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) के डिजाइन-सह-प्रोडक्शन पार्टनर प्रोग्राम के तहत डेवलप किया गया है. सभी डेवलपमेंट काम पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित हैं.
भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमता को बढ़ावा
यह रणनीतिक साझेदारी भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करेगी, जो सरकार की प्रमुख ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहलों के अनुरूप है. यह भारत को विश्व के अग्रणी रक्षा निर्यातकों में स्थान दिलाने की दृष्टि को आगे बढ़ाएगी. नई अत्याधुनिक सुविधा भारत की सशस्त्र सेनाओं की आपूर्ति में महत्वपूर्ण योगदान देगी और 2029 तक 50,000 करोड़ रुपए के महत्वाकांक्षी रक्षा निर्यात लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगी.
महाराष्ट्र में नई विनिर्माण सुविधा
इस सहयोग को समर्थन देने के लिए, रिलायंस डिफेंस लिमिटेड महाराष्ट्र के रत्नागिरी के वटद औद्योगिक क्षेत्र में एक ग्रीनफील्ड विनिर्माण सुविधा स्थापित करेगी. इस सुविधा की प्रति वर्ष 2,00,000 तोप के गोले, 10,000 टन विस्फोटक, और 2,000 टन प्रोपेलेंट्स उत्पादन करने की क्षमता होगी. कंपनी ने इस सुविधा के लिए निवेश की राशि का खुलासा नहीं किया है. यह नई सुविधा रिलायंस डिफेंस को देश के शीर्ष तीन रक्षा निर्यातकों में शामिल होने के अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद करेगी.
राइनमेटल के साथ साझेदारी
रिलायंस डिफेंस और राइनमेटल एजी के बीच सहयोग में रिलायंस द्वारा राइनमेटल को मध्यम और बड़े कैलिबर गोला-बारूद के लिए विस्फोटक और प्रोपेलेंट्स की आपूर्ति की जाएगी. इसके अलावा, दोनों कंपनियां चयनित उत्पादों के लिए संयुक्त विपणन गतिविधियों में शामिल होंगी और भविष्य के अवसरों के आधार पर अपने सहयोग को विस्तार देंगी. 80 अरब यूरो की राइनमेटल एजी बख्तरबंद वाहनों, इन्फैंट्री फाइटिंग वाहनों, उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों, और अत्याधुनिक गोला-बारूद प्रौद्योगिकी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उत्कृष्टता रखती है. इसका लियोपार्ड 2A7 टैंक विश्व के सबसे उन्नत मुख्य युद्धक टैंकों में से एक माना जाता है.
तुरंत शुरू हो सकता है प्रोडक्शन
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रवक्ता ने पुष्टि की कि सभी चार प्रोजेक्टाइल पर डेवलपमेंट का काम पूरा हो चुका है. 10 भारतीय कंपनियों को सप्लाई चेन में पूरी तरह से इंटीग्रेटेड कर दिया गया है और प्रोडक्शन तुरंत शुरू हो सकता है.
सरकार से मिल सकता है बड़ा ऑर्डर
कंपनी को अगले 10 वर्षों में भारतीय रक्षा मंत्रालय (MoD) से 10,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिलने की उम्मीद है. सेना का गोला-बारूद पर खर्च 2023 में 7,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2032 तक 12,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष होने का अनुमान है, ऐसे में रिलायंस एक महत्वपूर्ण हिस्सा हासिल करने की स्थिति में है.
नए गोला-बारूद की रेंज और सटीकता के फायदों को देखते हुए, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर एक्सपोर्ट मार्केट में भी प्रवेश करने की योजना बना रही है. कंपनी का अनुमान है कि अगले दशक में एक्सपोर्ट रेवेन्यू में 10,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वृद्धि होगी.
इकलौती प्राइवेट कंपनी
प्रतिस्पर्धी चयन प्रक्रिया में रिलायंस एकमात्र प्राइवेट कंपनी थी, जिसे इस परियोजना के लिए चुना गया, साथ ही पब्लिक सेक्टर की कंपनी यंत्र इंडिया को भी चुना गया. रिलायंस महाराष्ट्र के रत्नागिरी में एक ग्रीनफील्ड विस्फोटक और गोला-बारूद मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी लगा रही है. धीरूभाई अंबानी डिफेंस सिटी के भीतर डेवलप किए जा रहे इस प्लांट में 5,000 करोड़ रुपये का निवेश शामिल है.
गोला-बारूद पर सेना का खर्च
भारतीय सेना द्वारा गोला-बारूद पर खर्च 2023 में 7,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2032 तक 12,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष हो जाएगा. यह डेवलपमेंट रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के भारत से डिफेंस हार्डवेयर और सर्विसेज के टॉप तीन निर्यातकों में से एक बनने के लक्ष्य को मजबूत करता है, जो डिफेंस उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए देश के रणनीतिक प्रयास के साथ जुड़ा है.