डूंगरपुर, राजस्थान। Unique wedding : राजस्थान के डूंगरपुर जिले के गलंदर गांव में एक ऐसी शादी हुई, जिसने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। 95 वर्षीय रामा भाई अंगारी और 90 वर्षीय जीवली देवी, जो पिछले 70 साल से लिव-इन रिलेशनशिप में साथ रह रहे थे, ने आखिरकार सामाजिक रीति-रिवाजों के साथ सात फेरे ले लिए। इस अनोखी शादी में उनके बेटे, बेटियों, पोते-पोतियों और पूरे गांव ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया।
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रामा भाई और जीवली देवी की प्रेम कहानी सात दशकों तक बिना शादी के चली। इस दौरान उनके आठ बच्चे हुए—चार बेटे और चार बेटियां। उनके सबसे बड़े बेटे बखू खराड़ी (60) किसान हैं, जबकि शिवराम (57) और कांतिलाल (48) सरकारी शिक्षक हैं। उनकी बेटी सुनीता (53) भी शिक्षिका हैं, और अनिता (50) सरकारी नर्स हैं। एक बेटी जंतु का 55 वर्ष की उम्र में निधन हो गया, और सबसे छोटी बेटी सीता की शादी के बाद कोई जानकारी नहीं है।
शादी की इच्छा और धूमधाम से आयोजन
उम्र के इस पड़ाव पर रामा भाई और जीवली देवी ने अपने बच्चों के सामने शादी की इच्छा जताई। बच्चों ने माता-पिता की इस ख्वाहिश का सम्मान करते हुए पूरे रीति-रिवाज के साथ शादी का आयोजन किया। 1 जून को हल्दी और लग्न की रस्में हुईं, और 5 जून को गांव में डीजे की धुन पर बिंदौरी निकाली गई। बिंदौरी में बेटे, पोते और गांववाले जमकर नाचे। इसके बाद रामा भाई और जीवली देवी ने एक-दूसरे का हाथ थामकर सात फेरे लिए। शादी के बाद गांववालों के लिए सामूहिक भोज का भी आयोजन हुआ।
नाता प्रथा और सामाजिक बदलाव
यह जोड़ा आदिवासी समाज की नाता प्रथा के तहत 70 साल तक साथ रहा। नाता प्रथा में बिना शादी के जोड़े एक साथ रहते हैं, और उनके बच्चों को संपत्ति का अधिकार तो मिलता है, लेकिन सामाजिक आयोजनों में कई रस्मों में भाग लेने की अनुमति नहीं होती। इस शादी के पीछे मकसद सामाजिक मान्यता और सम्मान प्राप्त करना भी था। यह आयोजन न केवल परिवार के लिए, बल्कि पूरे गांव के लिए एक उत्सव बन गया, जो प्रेम और रिश्तों की कोई उम्र नहीं होने का संदेश देता है।
गांव में चर्चा, सोशल मीडिया पर वायरल
इस शादी के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गए हैं। गांववाले इसे प्रेम और परंपरा की मिसाल मान रहे हैं। एक ग्रामीण ने कहा, “हमने पहली बार ऐसा नजारा देखा, जहां इस उम्र में प्यार को ऐसा मुकाम मिला।” यह कहानी न केवल डूंगरपुर, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है।
रामा भाई ने पहले गुजरात में कुएं खोदने का काम किया और बाद में खेती-बाड़ी संभाली, जबकि जीवली देवी ने 12 साल तक ‘माडा’ संस्था में हैंडलूम पर दरियां बुनकर परिवार का सहारा दिया। बाद में आंखों की कमजोरी के कारण उन्होंने भी खेती में हाथ बंटाया।
यह शादी साबित करती है कि सच्चा प्यार उम्र की सीमाओं को नहीं मानता और रिश्तों को सामाजिक स्वीकृति