रायगढ़। CG NEWS: के केवड़ा बाड़ी स्थित आश्रय स्थल, जिसे राहगीरों की सुविधा के लिए बनाया गया था, आज उपेक्षा और असमाजिक गतिविधियों का केंद्र बनता जा रहा है। यहां प्रतिदिन औसतन केवल 5 से 6 लोग ही पहुंचते हैं, जबकि इसकी क्षमता कहीं अधिक है। इस स्थल पर महिलाओं की उपस्थिति न के बराबर है, महीने में मुश्किल से एक-दो महिला यात्री ही यहां आती हैं।
आश्रय स्थल के केयरटेकर सैयद शहजर के अनुसार, स्थानीय लोगों को यहां ठहरने की अनुमति नहीं है, फिर भी कई बार कंपनी के कर्मचारी बड़ी संख्या में आ जाते हैं। प्रति बिस्तर 50 रुपए शुल्क लिया जाता है और लाकर की सुविधा भी निःशुल्क उपलब्ध है।
सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं, लेकिन प्रचार-प्रसार की कमी और जागरूकता के अभाव में लोग इस सुविधा का लाभ नहीं उठा पा रहे। इसी के साथ, बस स्टैंड परिसर की स्थिति भी चिंताजनक बनी हुई है। यहां लूट, छीना झपटी और असमाजिक तत्वों की गतिविधियां बढ़ गई हैं। कई बार यात्री इनके शिकार बनते हैं। बस एजेंटों को भी इन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वे यात्रियों को सुरक्षित पहुंचाने के लि
ए निजी प्रयासों से बसों में भेजते हैं। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि आश्रय स्थल की आय से बस स्टैंड का बिजली बिल तक नहीं निकल पाता। मैंटनेंस और अन्य खर्च रायगढ़ नगर निगम के लिए अतिरिक्त बोझ बन चुके हैं। पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव भी यात्रियों के लिए परेशानी का कारण है।
राहगीरों की उदासीनता, सरकारी लापरवाही और जागरूकता की कमी ने इस सुविधा को लगभग बेकार बना दिया है। जरूरत है कि नगर निगम और प्रशासन इस दिशा में गंभीर पहल करें और लोगों को इसके प्रति जागरूक करें, ताकि आश्रय स्थल का सही उपयोग हो सके।