मुंबई। Ratan Tata Wil: टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन और देश के सबसे सम्मानित उद्योगपतियों में शुमार रतन टाटा को लेकर इन दिनों एक सवाल चर्चा में है — उनकी ₹3,800 करोड़ की वसीयत का असली वारिस कौन होगा? इस सवाल ने सोशल मीडिया से लेकर बिज़नेस गलियारों तक हलचल मचा दी है।
देश-दुनिया में अपनी सादगी और परोपकार के लिए पहचाने जाने वाले रतन टाटा भले ही हमेशा अपनी निजी ज़िंदगी को मीडिया की नज़रों से दूर रखते आए हैं, लेकिन उनकी वसीयत को लेकर लोग लगातार कयास लगा रहे हैं।
रतन टाटा की वसीयत में कौन-कौन है शामिल?
मीडिया रिपोर्ट्स और टाटा ग्रुप के करीबी सूत्रों के मुताबिक, रतन टाटा की वसीयत में टाटा ट्रस्ट्स, उनके बेहद करीबी परिजन और कुछ पुराने विश्वासपात्र कर्मचारियों का नाम शामिल है।
टाटा ट्रस्ट्स, जो रतन टाटा के नेतृत्व में देश की सबसे बड़ी परोपकारी संस्थाओं में गिना जाता है, उनकी संपत्ति का बड़ा हिस्सा ट्रस्ट्स को ही समर्पित किया जाएगा।
रतन टाटा की निजी ज़िंदगी
रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की और उनकी कोई औपचारिक संतान भी नहीं है। उन्होंने अपनी ज़िंदगी का ज़्यादातर हिस्सा टाटा ग्रुप और सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित किया है। यही वजह है कि उनकी वसीयत में परिवार से ज्यादा ट्रस्ट्स और समाजसेवा को महत्व दिए जाने की बात कही जा रही है।
रतन टाटा की कुल संपत्ति
हालांकि रतन टाटा का व्यक्तिगत नेट वर्थ दूसरे अरबपतियों की तरह नहीं आंका जाता, क्योंकि उनकी संपत्ति का बड़ा हिस्सा टाटा ट्रस्ट्स और टाटा संस के ज़रिए समाज सेवा में लगाया जाता है। लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार, रतन टाटा की कुल संपत्ति 3,800 करोड़ रुपए से भी अधिक आंकी जाती है।
वारिस कौन हो सकता है?
सूत्रों के मुताबिक, रतन टाटा की वसीयत में उनके सबसे करीबी रिश्तेदारों और पुराने कर्मचारियों का भी ख्याल रखा गया है। वहीं, टाटा ट्रस्ट्स इस वसीयत का सबसे बड़ा हिस्सेदार होगा।
यह भी माना जा रहा है कि कुछ ऐसे अनजान नाम सामने आ सकते हैं, जो रतन टाटा के बेहद निजी सर्कल में रहे हैं और मीडिया से दूर रहे हैं।
रतन टाटा की सोच और समाज सेवा
रतन टाटा हमेशा से मानते रहे हैं कि धन का सबसे बड़ा उपयोग समाज की भलाई के लिए किया जाना चाहिए। उनकी वसीयत में भी यही सोच झलकती है। टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण के लिए कार्य किए जाते हैं।