गरियाबंद। CG NEWS: छत्तीसगढ़ के जनजाति बहुल एवं वनांचल क्षेत्रों में स्थित गरियाबंद जिले के लिए शिक्षा के क्षेत्र में एक सुखद खबर सामने आई है। वर्षों से शिक्षक विहीन और एकल शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे स्कूलों में अब शिक्षकों की पूर्णता हो गई है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन और कलेक्टर भगवान सिंह उईके के निर्देशन में जिले में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न की गई है, जिससे जिले के 16 शिक्षकविहीन तथा 167 एकल शिक्षकीय स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित हुई है।
प्राथमिक शिक्षा के द्वार अब गांवों में ही खुलेंगे
मैनपुर, देवभोग, छुरा और गरियाबंद विकासखंड के दूरस्थ गांवों जैसे मौहानाला, भीमाटीकरा, धुमरापदर, भरूवामुड़ा, कुकरार, पीपलाकन्हार, डोंगरीपाली कांदागढ़ी सहित कुल 16 ऐसे गांव थे जहां प्राथमिक शिक्षा की सुविधा शिक्षक की अनुपस्थिति के कारण बाधित थी। परंतु अब इन सभी स्कूलों में शिक्षकों की पदस्थापना हो चुकी है। साथ ही एकल शिक्षकीय स्कूलों में भी अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई है, जिससे विद्यार्थियों को विषय-वार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी।
हाई स्कूलों में भी आया सुधार
शिक्षा विभाग के अनुसार देवभोग विकासखंड में पूर्व में 6 हाई स्कूल ऐसे थे, जहां केवल एक-एक शिक्षक कार्यरत थे। इससे समस्त विषयों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। अब युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के तहत इन सभी स्कूलों में अतिरिक्त शिक्षकों की तैनाती कर दी गई है, जिससे शैक्षणिक व्यवस्था को मजबूती मिली है।
मैनपुर के स्कूलों में वर्षों बाद बहार
मैनपुर विकासखंड, जो कि अत्यंत दुर्गम और वनवासी इलाका है, यहां शिक्षक वर्षों से पदस्थ नहीं होना चाहते थे। परंतु इस बार शासन द्वारा तय की गई प्राथमिकता और स्पष्ट दिशा-निर्देशों के कारण कुल्हाड़ीघाट, नकबेल, गरीबा, गोबरा, सहेबीनकछार जैसे दर्जनों गांवों में अब शिक्षक उपलब्ध हो चुके हैं।
167 एकल शिक्षकीय स्कूलों को भी मिला राहत
जिले में युक्तियुक्तकरण के पूर्व मैनपुर, छुरा और गरियाबंद विकासखंड में कुल 16 शिक्षकविहीन और 167 एकल शिक्षकीय स्कूल थे। इनमें अब पदस्थापन के बाद कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं रह गया है। देवभोग ब्लॉक की 4 शिक्षक विहीन और 30 एकल शिक्षकीय शालाओं में भी अब पर्याप्त शिक्षक मौजूद हैं।
ग्रामीणों ने जताया संतोष, दी सरकार को बधाई
वनांचल क्षेत्रों में लंबे समय से शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर बनी चिंता अब काफी हद तक दूर हो चुकी है। बच्चों को अब अपने ही गांव में शिक्षक और शिक्षा दोनों उपलब्ध होंगे। ग्रामीणों ने शासन की युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया की सराहना करते हुए इसे एक ऐतिहासिक और सराहनीय पहल बताया है।