छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले की बेटियों ने अपने हौसले और जज्बे से एक नई मिसाल कायम की है। शिक्षक नगर आमदी निवासी कनक लता सिंह (पिता श्री सत्येंद्र सिंह, उम्र 27 वर्ष) के मार्गदर्शन और नेतृत्व में गरियाबंद की चार साहसी बेटियां देश की ऊंची चोटियों पर तिरंगा फहराने के अभियान पर निकली हैं।
कनक लता सिंह के साथ कोमिता साहू (पिता दुष्यंत साहू, उम्र 16 वर्ष), खिलेश्वरी कश्यप (पिता त्रिलोक कश्यप, उम्र 17 वर्ष) और अम्बा तारक (पिता ऐवस तारक, उम्र 18 वर्ष) ने पहले छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची चोटी गौरलाटा (केदारकंठा ट्रैक) पर 12,500 फीट की ऊंचाई पर तिरंगा फहराकर पूरे जिले और प्रदेश का मान बढ़ाया।
इस अद्भुत उपलब्धि के बाद अब यह दल एक और चुनौतीपूर्ण अभियान की ओर बढ़ रहा है। 12 जून को गरियाबंद से रवाना होकर ये साहसी बेटियां अब हिमाचल प्रदेश के हमटा पास ट्रैक की ओर अग्रसर हैं, जहां वे समुद्र तल से 14,000 फीट की ऊंचाई पर तिरंगा फहराने का लक्ष्य लेकर निकली हैं।
यह ट्रैक अत्यंत कठिन है। दल को करीब 35 किलोमीटर की पैदल दूरी तय करनी होगी। इस दौरान घने जंगलों, दुर्गम और खड़ी पहाड़ियों, बर्फ से ढके रास्तों और ऊबड़-खाबड़ पगडंडियों से गुजरना होगा। हर दिन उन्हें 5 से 7 घंटे तक पैदल चढ़ाई करनी होगी। टीम 15 जून को मनाली बेस कैंप से हमटा पास ट्रैक के लिए रवाना होगी।
कनक लता सिंह के नेतृत्व में यह दल न केवल साहस और शौर्य का परिचय दे रहा है, बल्कि छत्तीसगढ़ के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रहा है। कनक लता का कहना है कि यह यात्रा केवल पर्वतारोहण नहीं, बल्कि हर युवा में देशभक्ति और आत्मविश्वास की भावना जगाने का प्रयास है।
कनक लता सिंह गरियाबंद जिले के शिक्षक नगर आमदी की निवासी हैं। उनकी उम्र 27 वर्ष है और वे सत्येंद्र सिंह की पुत्री हैं। कनक लता साहसिक अभियानों में रुचि रखती हैं और देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत होकर ऊंची चोटियों पर तिरंगा फहराने का संकल्प लेकर निकलती हैं। उनके नेतृत्व में कई युवाओं को प्रेरणा मिल रही है। सरल स्वभाव और मजबूत इच्छाशक्ति के कारण वे सभी के बीच आदर्श बन चुकी हैं।
कनक लता ने कहा:
“यह यात्रा केवल मेरी नहीं है, यह पूरे छत्तीसगढ़ की बेटियों का हौसला दिखाने का प्रयास है। हम हर कठिनाई को पार कर तिरंगा ऊंचा करने निकले हैं। हमारा सपना है कि हमारे प्रदेश और देश का नाम रोशन हो और युवा शक्ति को इससे प्रेरणा मिले।”
गरियाबंद जिले के लोगों में इस अभियान को लेकर उत्साह और गर्व की लहर है। सभी इन बेटियों की सफलता और सुरक्षित वापसी की कामना कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ की बेटियों की यह यात्रा साबित करती है कि साहस, संकल्प और सच्ची लगन से कोई भी शिखर दूर नहीं होता।तिरंगा शान से ऊंचा रहे — जय हिंद!