सक्ती। CG NEWS : समाज के प्रताड़ना से तंग आकर वृद्ध ने सुसाइड नोट लिखकर फांसी लगा ली। समाज ने उसके अंतिम संस्कार व दशकर्म में ग्रामीणों को शामिल नहीं होने दिया। यहां तक कि बुजुर्ग की पोती की शादी भी गांव में नहीं होने दी। इससे पीड़ित परिवार गांव छोड़ने पर मजबूर हो गया। वृद्ध का बेटा मकान व खेती छोड़कर परिवार के साथ अब दूसरे गांव में रह रहा है।
सक्ती के ग्राम सरवानी निवासी महेत्तरराम साहू (75) के दो बेटों में से चितेंद्र (45) बड़ा था। बीमारी से उसकी मौत हो गई। दूसरा बेटा जितेंद्र गांव में खेती-किसानी करता है। जमीन बंटवारे को लेकर महेत्तरराम का बड़े बेटे चितेंद्र की पत्नी बिमला बाई साहू से विवाद चल रहा है। मामला कोर्ट में है। यहां से फैसला होना बाकी है। इस मामले को लेकर 28 मार्च को गांव में समाज के लोगों ने बैठक बुलाकर महेत्तरराम की बहू के पक्ष में फैसला दे दिया। इसके साथ महेत्तरराम पर केस वापस लेने का दबाव बनाते हुए धमकी दी। महेत्तरराम ने उनका फैसला मानने से इनकार कर दिया तो उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। इससे दुखी महेत्तरराम का मनोबल टूट गया। बाद में घर में फांसी लगा ली। सुसाइड नोट लिखा। जिनका नाम जिम्मेदारों के रूप में लिखा है उन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई।
लड़की की शादी दूसरे गांव में जाकर की
महेत्तरराम के छोटे बेटे जितेंद्र ने किसी तरह क्रियाकर्म पूरा कराया। जितेंद्र की बेटी की 18 अप्रैल 2025 को शादी थी। कार्ड भी छप गया था, लेकिन समाज के लोगों ने जितेंद्र को गांव छोड़ने का फरमान सुना दिया। जितेंद्र अपने घर में ताला लगाकर परिवार को लेकर ससुराल ग्राम बबगुड़वा आ गया। यहां बेटी की शादी की। जितेंद्र साहू ने एसपी से शिकायत की। एसपी ने सक्ती थानेदार को कार्रवाई करने के लिए कहा।
फसल काटने दूसरे गांव से लाने पड़े मजदूरः जितेंद्र की गांव में खेती है। इनमें धान की फसल लगाई थी। काटने का समय आया तो वह गांव आया, पर मजदूरों ने मना कर दिया। मजबूरन उसे दूसरे गांव से मजदूर लाकर हार्वेस्टर से धान कटवाना पड़ा।
न्याय पाने भटक रहा परिवार
सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहा परिवार न्याय पाने के लिए थाना व पुलिस अधिकारियों के दफ्तरों का चक्कर काट रहा है, पर कोई उसकी बात नहीं सुन रहा है।