पटना। Tej Pratap: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से 6 साल के लिए निष्कासित होने के बाद लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने खुलकर बगावती तेवर अपना लिए हैं। गुरुवार को तेज प्रताप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक ऐसा पोस्ट साझा किया, जिसने बिहार की राजनीति में खलबली मचा दी। तेज प्रताप ने साजिशकर्ताओं को ललकारते हुए कहा कि उनकी चुप्पी को कमजोरी न समझा जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि वे जल्द ही झूठ और फरेब के चक्रव्यूह को तोड़कर सच जनता और सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेंगे।
तेज प्रताप ने लिखा, “मेरी खामोशी को मेरी कमजोरी समझने की भूल करने वालों, ये मत समझना कि मुझे तुम्हारी साजिशों का पता नहीं। शुरुआत तुमने किया है, अंत मैं करूंगा। झूठ और फरेब के बनाए इस चक्रव्यूह को तोड़ने जा रहा हूं। तैयार रहना, सच सामने आने वाला है। मेरी भूमिका मेरी प्यारी जनता और माननीय सर्वोच्च न्यायालय तय करेगा, कोई दल या परिवार नहीं।”
उनकी इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर सियासी तूफान खड़ा कर दिया। समर्थक जहां तेज प्रताप के साथ खड़े नजर आए, वहीं कुछ ने इसे लालू परिवार की अंदरूनी कलह का नया अध्याय बताया।
पारिवारिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि तेज प्रताप को 25 मई, 2025 को RJD से बाहर कर दिया गया था। वजह बनी थी सोशल मीडिया पर अनुष्का यादव नाम की युवती के साथ उनके रिश्ते का ऐलान, जिसे पार्टी ने नैतिकता के खिलाफ बताया था। लालू यादव ने न सिर्फ उन्हें पार्टी से, बल्कि परिवार से भी बाहर कर दिया। इस फैसले से तेज प्रताप बेहद आहत दिखे और अब साजिश का आरोप लगाकर अपने ही घर के लोगों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
सुप्रीम कोर्ट जाने का संकेत
तेज प्रताप के ट्वीट से साफ है कि वे अब अपनी लड़ाई को कानूनी मोर्चे पर ले जाने की तैयारी में हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और जनता को ही अपनी भूमिका का निर्धारक बताया। इससे यह संकेत मिल रहा है कि वे RJD नेतृत्व और परिवार के फैसलों के खिलाफ न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं।
नई सियासी राह की अटकलें
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि तेज प्रताप अब अपनी नई पार्टी बनाने या किसी और दल से हाथ मिलाने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। कुछ पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं। हालांकि तेज प्रताप ने अब तक ऐसी किसी योजना की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
RJD में बढ़ी चिंता
तेज प्रताप की इस बगावत ने उस वक्त पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, जब RJD बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी है। तेजस्वी यादव टिकट बंटवारे को लेकर पहले ही सख्त संदेश दे चुके हैं कि निष्क्रिय नेताओं को टिकट नहीं मिलेगा। तेज प्रताप का यह रुख पार्टी के लिए सियासी समीकरण बिगाड़ सकता है।
आगे क्या?
तेज प्रताप यादव की यह हुंकार क्या उन्हें एक नई सियासी पहचान दिलाएगी या यह पारिवारिक कलह का अंत किसी और बड़ी सियासी उठापटक में होगा — इसका जवाब आने वाला समय देगा। लेकिन इतना तय है कि तेज प्रताप के इस तेवर से बिहार की राजनीति में हलचल और RJD नेतृत्व की चिंता बढ़ गई है।