आपातकाल के 50 वर्ष: कांग्रेस की तानाशाही मानसिकता आज भी जीवित — किशोर महानंद
भाजपा जिला कार्यालय गरियाबंद में आयोजित प्रेसवार्ता में कांग्रेस पर किया तीखा प्रहार
गरियाबंद। 25 जून 1975 भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दिन। इसी तारीख को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सत्ता बचाने के लिए संविधान और लोकतंत्र दोनों को कुचल कर
आंतरिक अशांति का हवाला देते हुए देश पर आपातकाल थोप दिया था। इस घटना को 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस अवसर पर मंगलवार को भाजपा जिला कार्यालय गरियाबंद में आयोजित प्रेसवार्ता में भाजपा प्रदेश मंत्री किशोर महानंद ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि आपातकाल एक राजनीतिक षड्यंत्र था, न कि कोई राष्ट्रीय संकट। इंदिरा गांधी ने सत्ता में बने रहने के लिए संविधान, लोकतंत्र और जन-अधिकारों को कुचल दिया था। उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 की रात सिर्फ एक तिथि नहीं, बल्कि लोकतंत्र की हत्या का प्रतीक बन चुकी है। प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म कर दिया गया, समाचार पत्रों की बिजली काटी गई, सेंसरशिप थोप दी गई और हजारों निर्दोष नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों को जेलों में ठूंस दिया गया।
प्रदेश मंत्री किशोर महानंद ने कहा, कांग्रेस आज भी उसी आपातकालीन मानसिकता से ग्रस्त है। आज जब कांग्रेस सत्ता से बाहर है, तब वह लोकतंत्र की दुहाई देती है, लेकिन जब सत्ता में होती है, तब विरोध की हर आवाज को दबाने का प्रयास करती है।उन्होंने कहा कि आज भी कांग्रेस शासित राज्यों में पत्रकारों पर मुकदमे, सोशल मीडिया पोस्ट पर गिरफ्तारी और एक्टिविस्टों पर दमनकारी कार्रवाई आपातकाल की याद दिलाती है। उन्होंने इस पूरे दौर को डिजिटल इमरजेंसी करार दिया।
महानंद ने इस बात पर भी जोर दिया कि जब देश में जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेता लोकतंत्र की रक्षा में जेलों में बंद थे, तब इंदिरा गांधी ने अपने पुत्र संजय गांधी को अघोषित सत्ता का केंद्र बना दिया था। उन्होंने कहा कि आज भाजपा देश की जनता को उस कालखंड की सच्चाई याद दिला रही है ताकि फिर कभी कोई सत्ता के लालच में देश को तानाशाही की ओर न धकेल सके। प्रेसवार्ता में भाजपा जिला अध्यक्ष अनिल चंद्राकर, पूर्व मंडल अध्यक्ष सुरेन्द्र सोनटेके, मीडिया प्रभारी राधेश्याम सोनवानी, आशीष शर्मा, सागर मयाणी, अजय रोहरा, धनराज विश्वकर्मा, अमित बखरिया रितेश यादव भी उपस्थिति रहें।