Dhan Top Variety 2025 : धान बोने की जब बात आती है खासकर बासमती की तो किसान ऐसी किस्म चुनना चाहते हैं जो जल्दी तैयार हों और अच्छा मुनाफा दें. इसी क्रम में आज हम आपको बासमती धान की कुछ ऐसी प्रजातियों के बारे में बता रहे हैं, जो 115 दिनों से लेकर 135 दिनों में तैयार हो जाती हैं और हेक्टेयर में 46 क्विंटल से भी अधिक की उत्पादन क्षमता रखती हैं. आईये जानते है इसकी सम्पूर्ण जानकारी।
115 दिनों में होगी तैयार
पश्चिम चम्पारण सहित बिहार के ज्यादातर जिलों में धान की खेती बड़े स्तर पर की जाती है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि वैसे तो बिहार के किसान कुछ बेहद ही खास बासमती धान की खेती दशकों से करते आ रहे हैं, लेकिन कम समय में बेहतर मुनाफे के लिए उन्हें बासमती की कुछ अन्य प्रजातियों को भी इस्तेमाल में लाना होगा.
50-55 क्विटंल तक उपज तय
पांच दशकों के अनुभव के साथ कृषक परशुराम बताते हैं कि बिहार के किसानों को पूसा बासमती 01 की खेती जरूर करनी चाहिए. यह धान की एक ऐसी किस्म है, जिसकी खेती किसी भी तरह के सिंचित क्षेत्रों में की जा सकती है. इसमें बीमारियों से लड़ने की अधिक क्षमता होती है. खासकर झुलसा जैसे रोग का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. इसकी फसल 135 दिन में तैयार हो जाती है. अगर कोई किसान एक हेक्टेयर में इसे लगाता है, तो करीब 50-55 क्विटंल तक उपज तय हो जाती है.
औसत उत्पादन क्षमता
परशुराम बताते हैं कि पूसा बासमती 1718 बैक्टिरियल बीमारियों जैसे ‘ब्लाइट रोग’ वगैरह से बचाव में सक्षम है. यह बासमती धान की एक प्रमुख किस्म है, जो 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. प्रति हेक्टेयर इसकी औसत उत्पादन क्षमता 46 क्विंटल से अधिक है. लंबे दाने और मनमोहक अरोमा की वजह से इसकी डिमांड अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होती है.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान
वे आगे कहते हैं कि बासमती के इस प्रभेद को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ( ICAR) ने विकसित किया है. दूसरे प्रभेदों की तुलना में यह कम समय (115 दिन) में पककर तैयार होने वाली बासमती की किस्म है. हेक्टेयर में यह 41 क्विंटल से अधिक उत्पादन की क्षमता रखती है. चूंकी इस प्रभेद को बेहद कम सिंचाई की जरूरत पड़ती है, इसलिए इसकी खेती बहुत कम लागत में आसानी से की जा सकती है.
जलवायु और मिट्टी
फसल चाहे कोई भी हो, किसानों को इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि खेती से पहले फसल के मुताबिक मिट्टी की जांच बेहद जरूरी होती है. साथ ही जहां आप खेती कर रहे हैं, उस क्षेत्र की जलवायु उस फसल के लिए उपयुक्त है या नहीं. इन सभी बातों को ध्यान रखकर आप कृषि के काम से बेहतर आमदनी कर सकते हैं.