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भव्य रथ यात्रा: “बोल कालिया धीरे-धीरे” के जयघोष से गूंज उठा नगर, श्रद्धा और शौर्य का अद्भुत संगम उड़ीसा की परंपरा, गरियाबंद की भव्यता – हजारों श्रद्धालुओं ने महाप्रभु श्री जगन्नाथ के रथ को खींचा, नगर हुआ भक्तिमय

Vijay Sinha
Last updated: 2025/06/27 at 8:26 PM
Vijay Sinha
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5 Min Read
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गरियाबंद, 27 जून 2025।
आज गरियाबंद नगर में श्रद्धा, भक्ति और भव्यता का ऐसा अद्वितीय संगम देखने को मिला, जिसे शहरवासी वर्षों तक नहीं भूल पाएंगे। जब महाप्रभु श्रीजगन्नाथ की रथ यात्रा निकली, तो “बोल कालिया धीरे-धीरे” के जयघोषों से पूरा नगर गूंज उठा। हजारों की भीड़ एक साथ भगवान के रथ को खींचने के लिए उमड़ पड़ी, और हर कोई सिर्फ एक झलक पाने को आतुर था।

Contents
🔸 तीन महीने की साधना बनी एक दिव्य आयोजन🔸 नवयौवन वेश में महाप्रभु के दर्शन🔸 नगर हुआ भक्तिमय – झांकियां, नृत्य, रोशनी और भक्ति का रंग🔸 भावनाओं से जुड़ा आयोजन, संस्कृति की जीवंत प्रस्तुति“बोल कालिया धीरे-धीरे” की गूंज के साथ नगर में गूंज रही थी एक बात – गरियाबंद के श्रीजगन्नाथ परिवार युवा बल के युवाओं ने किया, वह ऐतिहासिक था।

🔸 तीन महीने की साधना बनी एक दिव्य आयोजन

इस ऐतिहासिक रथ यात्रा का आयोजन “श्रीजगन्नाथ परिवार युवा बल गरियाबंद” द्वारा किया गया, जिनकी 60 युवा सदस्यों की टीम ने पूरे समर्पण और अनुशासन के साथ आयोजन की कमान संभाली। पायजामा-कुर्ता और भगवा गमछा पहने इन युवाओं ने रथ यात्रा की गरिमा को नए स्तर पर पहुंचा दिया। 20 बाउंसरों की विशेष तैनाती ने सुरक्षा और व्यवस्था को और मजबूत किया।

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आयोजकों ने उड़ीसा की परंपरा के अनुरूप इस आयोजन की तैयारी पिछले तीन महीनों से शुरू कर दी थी। आमंदी ग्राम में पारंपरिक काष्ठ और बांस से निर्मित भव्य रथ तैयार किया गया। सफेद घोड़ों की जीवंत प्रतिकृति, रथ की कलात्मक सजावट और परंपरागत शिल्प इसे अद्वितीय बना रहे थे। यह केवल रथ नहीं था – यह श्रद्धा, आस्था और संस्कृति का प्रतीक था।

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🔸 नवयौवन वेश में महाप्रभु के दर्शन

महाप्रभु श्रीजगन्नाथ को विशेष ‘नवयौवन वेश’ में सजाया गया। यह परंपरा इस भाव को प्रकट करती है कि देव स्नान पूर्णिमा के बाद भगवान विश्राम कर नवऊर्जा के साथ भक्तों के दर्शन को निकलते हैं। रथ पर आरूढ़ महाप्रभु जब नगर भ्रमण को निकले, तो हर गली और हर मोड़ पर श्रद्धालुओं की आंखें नतमस्तक हो गईं।

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🔸 नगर हुआ भक्तिमय – झांकियां, नृत्य, रोशनी और भक्ति का रंग

रथ यात्रा दोपहर 4 बजे श्रीजगन्नाथ मंदिर सिविल लाइन से प्रारंभ होकर भूतेश्वरनाथ चौक, तिरंगा चौक, बस स्टैंड और सुभाष चौक से होकर पूरे नगर का भ्रमण करते हुए आगे बढ़ी। इस यात्रा में धार्मिक झांकियों, DJ भक्ति संगीत, सांस्कृतिक नृत्य और विशेष रोशनी व्यवस्था ने एक भक्ति पर्व का स्वरूप ले लिया। महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग – सभी उम्र के लोग उल्लास और भक्ति में डूबे हुए नजर आए।

🔸 प्रशासन रहा पूरी तरह सतर्क और सहयोगी

तिरंगा चौक बना आयोजन का केंद्र, झांकियों का हुआ स्वागत, अतिथियों को भेंट किए गए महाप्रभु के तैल चित्र

गरियाबंद की ऐतिहासिक रथ यात्रा के दौरान तिरंगा चौक को विशेष रूप से सजाया गया था, जहाँ एक भव्य मंच का निर्माण किया गया। यह मंच पूरे आयोजन का केंद्र बिंदु बन गया, जहाँ से न केवल कार्यक्रम की झलकियाँ प्रस्तुत की गईं, बल्कि श्रद्धा और सम्मान के प्रतीक कई विशेष क्षण भी साकार हुए।

इस मंच पर आयोजन समिति द्वारा कार्यक्रम में भाग लेने आई झांकियों का मोमेंटो भेंट कर सम्मान किया गया। अलग-अलग धार्मिक और सांस्कृतिक संगठनों द्वारा लाई गईं विविध झांकियाँ जब मंच के सामने पहुँचीं, तो तालियों की गड़गड़ाहट और भक्ति के स्वर वातावरण में गूंज उठे। आयोजन समिति के सदस्यों ने झांकी प्रतिनिधियों का गर्मजोशी से स्वागत कर उन्हें मोमेंटो देकर सम्मानित किया।

इस भव्य आयोजन में पुलिस प्रशासन ने भी बारीक योजना और तत्परता के साथ कार्य किया। थाना प्रभारी ओमप्रकाश यादव के नेतृत्व में पूरी सुरक्षा व्यवस्था को संभाला गया।
• रूट डायवर्जन और ट्रैफिक कंट्रोल
• स्वास्थ्य विभाग की टीम, एंबुलेंस और प्राथमिक चिकित्सा केंद्र
• हर चौक-चौराहे पर पुलिस बल की तैनाती
• जल सेवा केंद्र और मोबाइल वॉशरूम की व्यवस्था

हर पहलू पर गंभीरता और जिम्मेदारी से काम किया गया ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

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🔸 भावनाओं से जुड़ा आयोजन, संस्कृति की जीवंत प्रस्तुति

यह रथ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि गरियाबंद की सांस्कृतिक आत्मा का उत्सव थी। यह आयोजन इस बात का प्रमाण है कि जब समर्पण, अनुशासन और भक्ति एक साथ आते हैं, तो धर्म केवल आस्था नहीं रह जाता – वह जीवन का उत्सव बन जाता है।

“बोल कालिया धीरे-धीरे” की गूंज के साथ नगर में गूंज रही थी एक बात –
गरियाबंद के श्रीजगन्नाथ परिवार युवा बल के युवाओं ने किया, वह ऐतिहासिक था।

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