नगरी। CG NEWS: त्रिपुर ब्रम्हांड के नायक भगवान श्रीकृष्ण का एक रूप जिसे जगन्नाथ भगवान के रूप में पूजा जाता है।
रथयात्रा के इस पावन पर्व पर भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भ्राता बलभद्र एवं बहन सुभद्रा जी के साथ आज के ही दिन उड़ीसा के पुरी सहित देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष के द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व सनातन संस्कृति का विशेष पर्व है।
यह रथ यात्रा उत्सव 27 जून को नगरी सिहावा क्षेत्र के सिहावा में भी भक्तो का विशाल भीड़ देखने को मिली जिसमें बच्चे, बुजुर्ग, युवा सहित महिलाओ ने बड़े ही श्रद्धा के साथ जगन्नाथ भगवान का दर्शन कर जयकारा लगाते हुए रथ को खींचने के लिए काफी उत्साहित रहे।
इस रथ मे सवार पुजारियों ने भक्तो को गजामूंग का प्रसाद भी वितरण किए ।
भक्तों ने कहा कि इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा देवी अपने रथ में सवार होकर नगर का भ्रमण करते हुए अपने मौसी के घर जनकपुर जाते हैं और उसके बाद कुछ दिन विश्राम कर पुनः अपने निवास स्थान पर लौट आते हैं।
यह त्यौहार न केवल भक्ति का प्रतीक है बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक सौहाद्र का भी प्रतीक है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने से मनुष्य के जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यह पर्व भगवान जगन्नाथ और भक्तों के बीच अपार स्नेह और प्रेम का प्रतीक है।
यह रथयात्रा शरीर और आत्मा के मिलन का भी प्रतीक है जहां भगवान जगन्नाथ रथ रूपी शरीर में विराजमान होकर जीवन यात्रा का प्रतिनिधित्व करते हैं, यह रथयात्रा एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है।