दुर्ग। CG NEWS: जिले के मानस भवन में छत्तीसगढ़ अंशकालीन स्कूल सफाई कर्मचारी संघ के बैनर तले संभाग स्तरीय एक दिवसीय धरना दिया गया, जिसमें 500 से अधिक कर्मचारी शामिल हुए। ये कर्मचारी बीते 15 दिनों से काम बंद कर हड़ताल पर बैठे हैं। उनकी प्रमुख मांगें हैं – पूर्णकालिक कर नियमितीकरण, कलेक्टर दर पर मानदेय, और स्थायी नियुक्ति।
दुर्ग के मानस भवन में स्कूल में कार्यरत सफाई कर्मचारियों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया, इस विरोध प्रदर्शन में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस आंदोलन को समर्थन देते हुए मंच से सफाई कर्मचारियों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि वर्तमान साय सरकार के युक्तियुक्तकरण नीति के तहत 10,000 से ज्यादा सरकारी स्कूलों को बंद किया जा रहा है, जिससे स्कूलों में काम करने वाले सफाई कर्मी, रसोइया सहित अन्य अस्थायी कर्मचारियों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है।
उन्होंने याद दिलाया कि पूर्ववर्ती रमन सरकार में भी करीब 3,000 स्कूलों को बंद किया गया था, और अब फिर से वही नीति अपनाई जा रही है।भूपेश बघेल ने दावा किया कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बस्तर क्षेत्र के सैकड़ों बंद स्कूलों को पुनः प्रारंभ किया गया था, लेकिन भाजपा सरकार ने बस्तर सहित पूरे राज्य में शिक्षा व्यवस्था को हाशिए पर डाल दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार अब जंगलों को काटकर अडानी जैसे उद्योगपतियों को सौंपने की तैयारी में लगी है,
जबकि ग्रामीणों और कर्मचारियों के अधिकारों की अनदेखी की जा रही है। मीडिया से बातचीत में भूपेश बघेल ने कहा कि सफाई कर्मचारियों से वादा किया गया था कि सरकार बनने के 100 दिन के भीतर उनकी मांगों को पूरा कर दिया जाएगा, लेकिन अब सरकार को डेढ़ साल बीत चुके हैं और वादा अधूरा है।
उन्होंने यह भी कहा कि जिन स्कूलों को बंद किया जा रहा है, उनसे जुड़े सफाई कर्मी बेरोजगार हो जाएंगे और सरकार की ओर से उनके लिए कोई योजना या वैकल्पिक रोजगार की बात नहीं की जा रही है।इसके साथ ही उन्होंने राज्य की राशन वितरण प्रणाली पर सवाल उठाते हुए बताया कि केवल 52 प्रतिशत लोगों तक ही राशन पहुंच पाया है, जबकि 48 प्रतिशत गरीब अभी भी वंचित हैं।
सरकारी स्कूलों में किताबें समय पर नहीं पहुंचने को लेकर भी उन्होंने सरकार पर हमला बोला और कहा कि यह एक सोची-समझी साजिश है जिससे गरीब बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाएं।यह आंदोलन अब और व्यापक रूप लेता जा रहा है, और कर्मचारी संघ ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, उनका संघर्ष जारी रहेगा।