रायपुर। RAIPUR NEWS : कराटे के क्षेत्र में अनुशासन, समर्पण और उत्कृष्टता का प्रदर्शन करते हुए सीको काई कराते इंटरनेशनल रायपुर द्वारा आयोजित भव्य समारोह में चैतन्य यदु समेत कुल 14 कराटेकाओं को ब्लैक बेल्ट से सम्मानित किया गया। साथ ही 51 कराटेकाओं को कलर बेल्ट प्रदान की गई। यह समारोह 30 जून 2025 को रायपुर प्रेस क्लब में संपन्न हुआ।
चैतन्य यदु, जो कि राजधानी के होली क्रॉस, सीनियर सेकेंडरी स्कूल कांपा में कक्षा 11वीं के छात्र हैं, ने सैन साईं आदित्य तिवारी के मार्ग दर्शन में अब तक करीब एक दर्जन राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिताओं में अपने कौशल का प्रदर्शन कर छत्तीसगढ़ का नाम गौरवान्वित किया है। उनकी इस उपलब्धि ने युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने का कार्य किया है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संजय शर्मा (एआईजी ट्रैफिक) रहे, जबकि अध्यक्षता प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर ने की। विशिष्ट अतिथियों में श्री संदीप अग्रवाल, राधिका माहेश्वरी (Mad Moves), सुजाता झारखंडी, KAF क्लब के संस्थापक रेन्सी तुलसीराम सपहा, और कैफ क्लब प्रभारी संजीव सिन्हा भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में कराटेकाओं ने पारंपरिक काता, हथियारों का प्रयोग, फाइट तकनीक और स्टंट्स का प्रदर्शन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इन प्रस्तुतियों ने कराटे के प्रति उनकी निष्ठा और वर्षों की कठिन साधना को दर्शाया।
ब्लैक बेल्ट प्राप्त करने वाले कराटेकाओं के नाम:
चैतन्य यदु, काजल कुर्रे, वंशिका मोदी, काजल पुरेना, युवराज पुरेना, मयंक देवांगन, विंसी विक्टर, अंजलीना जॉनसन, अभिज्ञान तिवारी, दीक्षा रामानी, शिवम प्रशांत, अपूर्व बाजपेई, दीपक तारक, सागर भक्ति सिंह।
कलर बेल्ट प्राप्त करने वाले कराटेकाओं में पीयूष साहू, सर्वज्ञ सिंह, रुद्रांश गुप्ता, हर्षिल चोटवानी, ट्रिंसी मसीह, सिद्धि श्रीवास, देवेंद्र निषाद, लीलीमा निषाद, राघवी वर्मा, गौरव साहू, मौलिशा दीलीवार, ऋषभ सेन, जोशिता राव, शालोम सिकंदर सिंह, रुत्वी बसरानी, तवेशा करमाकर, तनीशी करमाकर, स्तुति शाह, शानवी शाह, केशव चतुर्वेदी, रूद्र सिंह, सेवन वि सीजू, आरत्रिका सिंह, पटवर्धन, ट्विंकल तिवारी, आरोही तिवारी, अरहम जॉन, गीतिका पांडे, युतिका साहू, अरनव गोगिया, हर्षा गोगिया, नायशा कोहली, अद्विका नधानी, प्रणव ध्रुव, मोक्ष तारक समेत अन्य शामिल हैं।
सीको काई कराते इंटरनेशनल रायपुर और कैफ क्लब द्वारा आयोजित यह आयोजन केवल सम्मान समारोह नहीं था, बल्कि इसने यह संदेश भी दिया कि कराटे केवल एक युद्ध कला नहीं, बल्कि आत्म-रक्षा, आत्म-निर्भरता और अनुशासन का सशक्त माध्यम है। संस्था निरंतर छत्तीसगढ़ में पारंपरिक कराटे को बढ़ावा देने हेतु कार्यरत है।