गरियाबंद जिले के अमलीपदर थाना क्षेत्र में उस वक्त हड़कंप मच गया जब फाइनेंस कंपनी के नाम पर 32 महिलाओं से ठगी कर 21 लाख 92 हजार की रकम उड़ाने वाले एक संगठित गिरोह का भंडाफोड़ हुआ। इस साज़िश की परतें तब खुलीं जब एक महिला की शिकायत पर पुलिस ने मामले की गहराई से जांच शुरू की — और जैसे-जैसे राज़ खुलते गए, पूरा खेल सामने आ गया।
कैसे रची गई ठगी की पटकथा?
पीपलखुंटा गांव की महिला पुष्पांजली मांझी ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि कुछ लोग फाइनेंस कंपनी से लोन दिलाने का लालच दे रहे हैं। भारत फाइनेंस कंपनी के फर्जी कर्मचारी लक्ष्मण सिंह उर्फ राकेश, महिला झटकान्ती मांझी और उसका पति प्रेम सिंह मांझी योजनाबद्ध तरीके से गांव-गांव घूमकर महिला समूहों को लोन दिलाने का झांसा दे रहे थे।
पीड़ित महिलाओं से आधार, बायोमेट्रिक, और दस्तावेज लेकर उनका लोन स्वीकृत करवाया गया, लेकिन पैसा उनके खातों से निकालकर सीधे आरोपियों ने हड़प लिया। इसी तरह 32 महिलाओं से कुल ₹21,92,828 की धोखाधड़ी की गई।
जुर्म कबूल – गिरोह गिरफ्तार
पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपियों –
- प्रेम सिंह मांझी (54),
- झटकान्ती मांझी (48),
- लक्ष्मण सिंह ध्रुव उर्फ राकेश (38)
को हिरासत में लेकर पूछताछ की, जहाँ उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
तीनों को विधिवत गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस मामले से जुड़े अन्य कड़ियों की भी जांच कर रही है, ताकि कहीं और भी यह गिरोह सक्रिय हो तो समय रहते कार्रवाई हो सके।
क्या है आगे?
इस घटना ने जिलेभर में सनसनी फैला दी है। सवाल उठ रहे हैं कि फर्जी फाइनेंस कंपनियां महिलाओं को किस तरह निशाना बना रही हैं और क्या ऐसे मामलों में कोई बड़ा नेटवर्क सक्रिय है?
गरियाबंद पुलिस की इस कार्रवाई को बड़ी सफलता माना जा रहा है, लेकिन यह भी तय है कि इस केस की परतें अभी और खुलनी बाकी हैं।