आधार को न मानने का फरमान तुगलकी, बीएलओ समेत तमाम लोगों के नाम सार्वजनिक किए जाने की मांग
जगदलपुर। CG NEWS: बिहार के मतदाताओं को अपनी नागरिकता साबित करने के फरमान से चुनाव आयोग कटघरे में है। वहीं निर्वाचक नामावली के लिए जिस आधार कार्ड को अब तक मान्य किया जाता रहा है, उसे न मानने के चुनाव आयोग के हालिया फरमान को तुगलकी बताया गया है। जगदलपुर के पूर्व विधायक व बिहार चुनाव के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से नियुक्त पर्यवेक्षक रेखचंद जैन ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
उसके द्वारा उठाए जाने वाले कदमों को अमर्यादित, असंसदीय, गैर संवैधानिक, अलोकतांत्रिक तथा गैर वाजिब बताया है। उन्होने मीडिया को जारी बयान में कहा है कि विधानसभा चुनाव के लिए आयोग ने जो मतदाता सूची तीन माह पूर्व जारी किया था, उसे मान्य किया जाना चाहिए। समूचे बिहार के मतदाताओं को अपनी नागरिकता साबित करने कहा जा रहा है। एक माह में करीब नौ लाख लोगों से उनकी नागरिकता के लिए 11 प्रकार के दस्तावेजों की मांग करने से लोग निराश- परेशान हैं। जिस आधार कार्ड, राशन कार्ड, जॉब कार्ड की विभिन्न प्रतिष्ठानों के द्वारा मान्यता रही है, उन्हें खारिज किया गया है।
पूर्व विधायक जैन ने प्रति प्रश्न करते कहा है कि अगर पूर्व की सूची में सम्मिलित उनके नाम गलत हैं तो उसी सूची के आधार पर कराए गए चुनाव कैसे वैध हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में वर्तमान केंद्र सरकार भी अवैधानिक ठहराई जानी चाहिये और उसे पद पर बने रहने की कोई अधिकारिता नहीं रह जाती है। लिहाजा पहले नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को त्यागपत्र देना चाहिये।
जैन के अनुसार संविधान के मुताबिक नागरिकता साबित करने की अधिकारिता चुनाव आयोग के पास नहीं है। उसे मात्र 18 वर्ष की आयु पूरी करने वालों के नाम मतदाता सूची में जोड़ना चाहिए। यह बात उच्चतम न्यायालय ने 1995 में अपने आदेश में कही थी। एक बार फिर केंद्रीय चुनाव आयोग वही गलती दोहरा रहा है। पूर्व संसदीय सचिव श्री जैन ने नाराजगी जाहिर करते कहा है कि आयोग रोज ही नए फरमान जारी कर रहा है।
उन्होने बीएलओ समेत तमाम लोगों के नाम सार्वजनिक किए जाने की मांग की है। इससे आरएसएस के लोगों की चुनाव आयोग में बैक डोर एन्ट्री के आरोप से बचा जा सकता है। साथ ही, बूथों में जिन तीन लाख स्वयं सेवकों की नियुक्ति की बात आयोग कर रहा है, वह भी जनता के सामने होगी। लोकतंत्र की स्थापना के लिए ही आयोग का गठन किया गया है, यह बात भी उसे साबित करना है।