म्यांमार। Stampede again: जातीय गुटों के बीच जारी खूनी संघर्ष का असर एक बार फिर भारत पर दिखा है। भीषण गोलीबारी के बीच अपनी जान बचाकर 4000 से ज्यादा लोग भारत के मिजोरम में घुस आए हैं। इनमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं। स्थानीय प्रशासन और सुरक्षाबल इन शरणार्थियों को राहत शिविरों में ठहरा रहे हैं। इस घटना ने म्यांमार की बिगड़ती हालात और भारत-म्यांमार सीमा की संवेदनशीलता पर फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।
📌 क्या है मामला?
म्यांमार के ख्वामावी इलाके में लोकतंत्र समर्थक दो जातीय गुट — चिन नेशनल डिफेंस फोर्स (CNDF) और चिनलैंड डिफेंस फोर्स (CDF) के बीच 28 जून से 5 जुलाई तक भीषण गोलीबारी चली। दोनों गुट म्यांमार के चिन राज्य में सैन्य सरकार के खिलाफ सक्रिय हैं, लेकिन अब वे आपस में वर्चस्व को लेकर भिड़ गए हैं। इस संघर्ष के कारण हजारों स्थानीय नागरिक अपनी जान बचाकर भारत के मिजोरम के चंफाई जिले के जोखावथर गांव में पहुंचने लगे।
📌 तियाउ नदी बन रही सीमा
म्यांमार के ख्वामावी और भारत के जोखावथर के बीच तियाउ नदी बहती है, जो दोनों देशों की प्राकृतिक सीमा का काम करती है। जब म्यांमार में गोलीबारी तेज हुई, तो लोग नाव और पैदल रास्तों से नदी पार कर मिजोरम में घुस आए। अधिकारियों का कहना है कि अभी तक 4000 से ज्यादा लोग शरण ले चुके हैं और यह संख्या बढ़ सकती है।
📌 2021 के बाद अबतक 32,000 शरणार्थी
गौरतलब है कि 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद से अब तक 32,000 म्यांमार नागरिक मिजोरम में शरण ले चुके हैं। मिजोरम की म्यांमार के साथ 510 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है, जो बिना फेंसिंग के है। ऐसे में हालात बिगड़ने पर लोग आसानी से भारत में प्रवेश कर लेते हैं।
असम राइफल्स लगातार सीमा पर निगरानी कर रही है और ताजा घटनाक्रम के बाद सुरक्षा और कड़ी कर दी गई है।
📌 क्यों भिड़े CNDF और CDF गुट?
दोनों गुट म्यांमार की सैन्य सरकार के विरोधी हैं, लेकिन क्षेत्रीय वर्चस्व को लेकर आपस में भिड़ गए। दोनों गुटों के लड़ाके ज़ो जनजातीय समुदाय से हैं। म्यांमार में सैन्य तानाशाही और हिंसा के खिलाफ लड़ाई में ये संगठन सक्रिय रहे हैं, लेकिन अब उनके बीच संघर्ष म्यांमार के चिन राज्य में एक नया संकट बन गया है।
इस गोलीबारी की वजह से स्थानीय लोगों के घर, दुकान और खेत तबाह हो गए, जिसकी वजह से हजारों लोगों को अपने परिवार के साथ भारत में शरण लेना पड़ा।
📌 अभी और बढ़ सकती है संख्या
अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल शरण लेने वालों की संख्या का सही आंकड़ा नहीं है। सीमा पार कर रहे लोगों की आमद लगातार बनी हुई है। प्रशासन ने जोखावथर और उसके आसपास के इलाकों में राहत कैंप बनाए हैं।
स्थानीय एनजीओ और मिजो समुदाय भी इन शरणार्थियों को खाने-पीने और दवाइयों की मदद पहुंचा रहे हैं।
📌 नज़र रखें इस मुद्दे पर…
म्यांमार में हालात जिस तरह बिगड़ रहे हैं, उससे भारत के सीमावर्ती राज्यों में शरणार्थियों की संख्या और बढ़ने की आशंका है। केंद्र और मिजोरम सरकार इस पर नजर रखे हुए हैं।