BOLLYWOOD LEGEND: 13 साल की उम्र में बोली- काम दो या दे दूंगी जान! बनीं पहली फीमेल कॉमेडियन टुनटुन
परिवार की हत्या, अनाथ जीवन और नौकरानी जैसी ज़िंदगी से निकली वो लड़की, जिसने इंडस्ट्री को हंसी सिखाई!
📍 मुंबई ,बॉलीवुड स्पेशल। Bollywood’s first female comedian:13 साल की थी जब मां-बाप की लाशें देखीं… फिर वो अकेले चल पड़ी मुंबई की ओर, बस एक ख्वाब था – गाना है, जीना है, नाम कमाना है।
आज हम बात कर रहे हैं उस लड़की की, जो कभी मरने को तैयार थी, लेकिन आज हिंदी सिनेमा की हंसी की पहचान बन गई – उमा देवी खत्री, जिन्हें दुनिया ने टुनटुन के नाम से जाना।
🩸 परिवार की हत्या, रिश्तेदारों की नौकरानी – दर्द से भरा बचपन
1923 में यूपी के अमरोहा के पास एक गांव में जन्मी उमा देवी की दुनिया उस वक़्त उजड़ गई जब जमीन विवाद में उनके पूरे परिवार की हत्या कर दी गई।
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माँ-बाप और भाई की यादें भी धुंधली थीं…
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रिश्तेदारों ने उन्हें पाला, लेकिन एक नौकरानी की तरह।
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अकेलेपन और गरीबी में सिर्फ एक साथी था – संगीत।
🎤 डायरेक्टर से बोली – काम नहीं दिया तो मर जाऊंगी!
13 साल की उम्र में उमा मुंबई भाग आईं, सीधे पहुंचीं संगीतकार नौशाद अली के घर।
वहां कह दिया –
“काम दो वरना समंदर में कूद जाऊंगी!”
नौशाद साहब ने जब उसकी आवाज सुनी, तो समझ गए – यह लड़की कुछ अलग है।
🎶 संगीत से शुरुआत, लेकिन किस्मत ने लिखा था कॉमेडी का मुकाम
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1946 में “वामिक अजरा” से गायन की शुरुआत
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फिल्म “दर्द” का गीत “अफसाना लिख रही हूं दिल-ए-बेकरार का” से मिली पहचान
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पर 1950 के दशक में नौशाद ने कहा – “तुम्हारी हँसी करोड़ों की दवा बन सकती है।”
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बस वहीं से बनीं हिंदी सिनेमा की पहली महिला कॉमेडियन – टुनटुन!
🎬 ‘बाबुल’, ‘मिस्टर एंड मिसेज 55’, ‘पति पत्नी और वो’… हर फिल्म में हँसी का तूफ़ान
टुनटुन सिर्फ कॉमेडियन नहीं थीं, वो एक युग थीं, जिनके बिना फिल्म अधूरी लगती थी।
उनकी कॉमिक टाइमिंग, उनकी एक्सप्रेशन और मासूमियत, हिंदी फिल्मों की पहचान बन गई।
🌹 जीवन में त्रासदी, पर स्क्रीन पर हँसी – यही थी टुनटुन की विरासत
उनकी कहानी सिर्फ फिल्मी दुनिया में पहली महिला कॉमेडियन बनने की नहीं है,
बल्कि